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फ्यूचर-अमेजन-रिलायंस विवाद: SC ने दिल्ली HC में चल रही सभी कार्यवाही पर रोक लगाई

6 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप-अमेजन-रिलायंस विवाद (Future-Amazon-Reliance Case) से संबंधित दिल्ली हाईकोर्ट में अमेजन की उन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई को लेकर रोक लगा दी, जिसमें सिंगापुर के इमरजेंसी आर्बिट्रेटर (EA) के फैसले को लागू करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLAT), कॉम्पटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) और SEBI से डील के संबंध में चार हफ्ते तक अंतिम आदेश पारित नहीं करने को कहा.

फ्यूचर ग्रुप के सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी, और अमेजन के सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने ये आदेश पारित किया.
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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने पहले आदेश दिया था कि फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों और उसके प्रमोटरों की संपत्ति को इमरजेंसी आर्बिट्रेटर अवॉर्ड (emergency arbitrator award) के उल्लंघन के लिए कुर्क किया जाए. कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की संपत्तियों को रिलायंस रिटेल को बेचने पर भी रोक लगा दी थी.

6 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने ई-कॉमर्स कंपनी, अमेजन के पक्ष में अपना फैसला सुनाया और सिंगापुर की इमरजेंसी आर्बिट्रेटर (EA) अवॉर्ड को बरकरार रखा, जिसने रिलायंस रिटेल और फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के बीच 24,731 करोड़ रुपये के सौदे को रोक दिया था.

क्या है फ्यूचर-अमेजन-रिलायंस विवाद?

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिडेट की सब्सिडियरी रिलायंस रिटेल और किशोर बियानी के नेतृत्व वाली फ्यूचर ग्रुप के बीच 27,513 करोड़ रुपये की डील हुई थी. इस डील के तहत फ्यूचर ग्रुप ने अपना सारा रिटेल कारोबार, होलसेल कारोबार, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस रिलायंस को बेचने दिया था. इस डील में फ्यूचर रिटेल सुपरमार्केट चेन बिग बाजार, फूड सप्लाई यूनिट फूडहॉल, फैशन एंड क्लोद्स रिटेल फैक्टरी रिटेल रिलायंस के बेचने का ऐलान हुआ था.

अमेजन को रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप डील से क्या दिक्कत?

पिछले साल किशोर बियानी के फ्यूचर रिटेल ने ई-कॉमर्स में दुनियाभर में मशहूर कंपनी अमेजन के साथ एक डील की थी. इस डील के मुताबिक अमेजन ने फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर कंपनी फ्यूचर कूपंस में 49% हिस्सा खरीदा था. अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच ये डील करीब 2000 करोड़ रुपये में हुई थी. इस डील के तहत ये भी तय हुआ था कि फ्यूचर रिटेल अपने प्रोडक्ट अमेजन के ऑनलाइन मार्केट प्लेस पर बेच पाएगा.

शेयर होल्डर एग्रीमेंट के तहत अमेजॉन को कॉल ऑप्शन दिया गया था जिसमें कंपनी के पास विकल्प था कि वो फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर शेयरहोल्डिंग पूरी या फिर उसका कुछ हिस्सा खरीद सकते थे. ये तीसरे और दसवें साल के बीच में किया जा सकता था.

अमेजन का क्या दावा था?

अमेजन का मानना है कि रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच जो डील हुई है उससे अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई डील की शर्तों का उल्लंघन हुआ है. कंपनी का मानना है कि रिलायंस के साथ डील किए जाने से पहले अमेजन को सूचित किया जाना चाहिए था.

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