अडानी ग्रुप (Adani Group) ने अंबुजा सीमेंट और ACC सीमेंट को खरीद लिया है. डील करीब 81 हजार करोड़ रुपए में हुई है. भारत की ये दोनों दिग्गज कंपनियां स्विटजरलैंड की कंपनी Holcim ग्रुप की हैं. इस डील की रेस में Ultratech Cement और JSW ग्रुप भी था, लेकिन आखिर में कामयाबी मिली अडानी ग्रुप को. इस डील के बाद अडानी ग्रुप देश में दूसरे नंबर की सीमेंट उत्पादक कंपनी बन जाएगी.
अंबुजा सीमेंट (Ambuja Cement) और ACC सीमेंट
मार्केट कैप के मुताबिक अंबुजा सीमेंट और ACC सीमेंट भारत की तीसरे और चौथे नंबर की कंपनियां हैं. इस लिहाज से अब अडानी सीमेंट देश की टॉप की सीमेंट कंपनियों में शुमार हो गई हैं. 1983 में बनी अंबुजा सीमेंट के पास 31 मिलियन टन की उत्पादन क्षमता है. इसके पास कुल छह प्लांट और आठ ग्राइंडिंग यूनिट हैं. दोनों कंपनियों को मिला दें तो इनकी उत्पादन क्षणता 70 मिलियन टन प्रति वर्ष है. इनके पास 23 प्लांट, 14 ग्राइंडिंग स्टेशन और 80 रेडी मिक्स कॉन्क्रीट प्लांट हैं और देश भर में 50 हजार चैनल पार्टनर हैं. देश में इस वक्त 298 मिलिटन टन सीमेंट का उत्पादन हर साल होता है. यानी अडानी ग्रुप अब देश का 23% से ज्यादा सीमेंट उत्पादन अकेले करेगा.
सीमेंट सेक्टर में अडानी ग्रुप (Adani Group)
अडानी ग्रुप के चीफ गौतम अडानी एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के पांचवे सबसे अमीर शख्स हैं. कंपनी अपने पोर्ट और एनर्जी बिजनेस से अब दूसरे सेक्टरों में प्रवेश कर रही है. पिछले साल ही अडानी ग्रुप ने अडानी सीमेंट इंटडस्ट्रीज का ऐलान कर सीमेंट सेक्टर में घुसने की मंशा जता दी थी. इस डील से अडानी ग्रुप भारतीय सीमेंट सेक्टर का बड़ा प्लेयर बन जाएगा. अडानी ग्रुप के पास दो सीमेंट सब्सिडियरी हैं और अडानी सीमेंटेशन लिमिटेड गुजरात में एक नई फैसिलिटी बना रही है. अडानी ग्रुप ने Holcim Ltd का अंबुजा और ACC सीमेंट में पूरा स्टेक खरीदा है. Holcim Ltd का इन कंपनियों में 63.19% और 4.48% हिस्सेदारी थी. अंबुजा सीमेंट की ACC सीमेंट में 50.05% हिस्सेदारी है. ये डील अडानी ग्रुप की अब तक की सबसे बड़ी डील है. JSW ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने हाल ही में ऐलान किया था कि वो Holcim की अंबुजा में हिस्सेदारी को खरीदने के लिए 7 बिलियन डॉलर की बोली लगाई है.
इस डील के बाद Holcim ग्रुप अब भारत के सीमेंट कारोबार से बाहर निकल गई है. Holcim का भारत के सीमेंट कारोबार से निकलना भारत से सबसे बड़े FDI का बाहर जाना भी होगा. इससे पहले केर्न एनर्जी का यहां से निकलना सबसे बड़ी निकासी थी.
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