वैश्विक मंदी (Global Recession) का खतरा बढ़ता जा रहा है. वर्ल्ड बैंक (World Bank) के अध्यक्ष डेविड मल्पास (David Malpass) ने गुरुवार, 13 अक्टूबर को 'भयानक मंदी' की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है. इसके साथ ही मल्पास ने गरीबों की मदद का भी आह्वान किया है.
विश्व बैंक ने इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान कितना घटाया?
वर्ल्ड बैंक चीफ डेविड मल्पास ने (David Malpass) अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक के दौरान मीडिया से कहा, "हमने 2023 के लिए आर्थिक विकास दर (Economic Growth Rate) के अनुमान को 3 प्रतिशत से घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है. वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है. वैश्विक मंदी कुछ परिस्थितियों के अंतर्गत हो सकती है."
विश्व बैंक के लिए क्या है बड़ी चुनौती ?
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महंगाई, ब्याज दर में वृद्धि, विकासशील देशों में पूंजी प्रवाह का रुकना बड़ी समस्या है. इससे गरीबों पर असर पड़ रहा है. यह बैंक के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.
मल्पास ने कहा कि, "हम विकासशील देशों में लोगों को आगे बढ़ने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ देश पहले से ही अपनी ब्याज दर बढ़ा रहे हैं. हो सकता है कि वो देश एक ऐसे प्वाइंट पर पहुंच जाएं, जहां उन्हें और बढ़ोतरी न करनी पड़े. वहीं कुछ देशों ने एक तरह की सब्सिडी बनाम दूसरी तरह की सब्सिडी दी है.
क्यों विकासशील देशों में बढ़ा कर्ज संकट?
डेविड मल्पास ने विकासशील देशों को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में ज्यादा ब्याज दर के कारण कर्ज बढ़ रहा है. एक तरफ कर्ज बढ़ रहा है और दूसरी तरफ उनकी मुद्राएं कमजोर हो रही हैं.
मल्पास ने कहा, "मुद्रा के मूल्य में गिरावट कर्ज का बोझ बढ़ा रही है. विकासशील देश कर्ज संकट की 5वीं लहर से जूझ रहे हैं."
मंदी की मार से बचने के लिए मल्पास ने गरीबों को ध्यान में रखते हुए लक्षित कार्ययोजना तैयार करने का आह्वान किया है.
भारत की स्थिति कैसी है?
मंदी के खतरे के बीच कई बड़ी वित्तीय संस्थाओं ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान भी घटा दिया है. विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की GDP ग्रोथ के अनुमान को 7.5% से घटा कर 6.5% कर दिया है. वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी अनुमान में कटौती की है और अनुमान को 7.2 फीसदी से घटा कर 7 फीसदी कर दिया है. इसके साथ ही नोमुरा ने भारत के ग्रोथ रेट को 5.4% से घटा कर 4.7% कर दिया है.
वहीं IMF ने कहा है कि अगर दुनियाभर की सरकारें महंगाई को काबू करने में असफल रही तो मंदी का खतरा बढ़ जाएगा.
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