जीएसटी के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई के लिए जरूरी ई-वे बिल का इस्तेमाल देश में आज यानी 1 अप्रैल से लागू हो रहा है. वित्त मंत्रालय ने साफ किया कि ई- वे बिल की वैधता अवधि को ट्रांसपोर्टर की तरफ से जीएसटी फार्म में पहली बार डिटेल्स भरने के दिन से गिना जाएगा.
वित्त सचिव हसमुख अधिया ने घोषणा की कि अंतरराज्यीय परिवहन में ई-वे बिल रविवार से लागू हो रहा है. अगले दो हफ्तों में इसे राज्यों के भीतर भी माल की ढुलाई के लिए लागू कर दिया जाएगा.
अब केवल ई-वे बिल की जरूरत होगी
इस प्रणाली के तहत ई-वे बिल को कारोबारी या किसी ट्रासंपोर्टर को 50,000 रुपये से अधिक मूल्य का माल एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाते हुए जीएसटी निरीक्षक के समक्ष पेश करना होगा.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह साफ किया जाता है कि अब केवल एक ई-वे बिल की जरूरत होगी. अगर माल ढुलाई में एक से अधिक कंपनियां शामिल होगी तो ऐसे मामलों में ट्रांसपोर्टर ए ई-वे बिल को ट्रांसपोर्टर बी को प्रदान करेगा, जो अपने वाहन की जानकारी भरकर माल की ढुलाई करेंगे.”
ई-वे बिल को जीएसटी के तहत लागू किया जा रहा है, जो कि 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के सामानों की एक राज्य से दूसरे राज्य में सड़क, रेलवे, हवाई मार्ग से या पानी के जहाज से ले जाने पर लागू होगा.
ऐसा करेगा काम
ई- वे बिल की वैधता अवधि को उस दिन से गिना जायेगा जब जीएसटी फार्म ईवेबिल-01 के भाग- बी में ट्रांसपोर्टर पहली बार ब्योरा भरेगा. इसके बारे में उदाहरण देते हुये कहा गया है कि माना कोई कारोबारी फार्म जीएसटी ई-वे बिल-01 में शुक्रवार को भाग-ए में ब्योरा भरता है और अपना माल ट्रासंपोर्टर के हवाले कर देता है. इसके बाद ट्रांसपोर्टर यदि माल को सोमवार को रवाना करता है और जीएसटी ई- वेबिल-01 के भाग- बी को भरता है तो उसकी वैधता अवधि सोमवार से ही गिनी जाएगी.
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जीएसटी परिषद द्वारा मंजूर किए गए नियमों के मुताबिक 100 किलोमीटर से कम दूरी तय करने पर ई- वे बिल एक दिन के लिए वैलिड होगा. इसके बाद प्रत्येक 100 किलोमीटर के लिये वैलिडिटी एक अतिरिक्त दिन के लिए होगी.
टैक्स चोरी रुकने की उम्मीद
सरकार को उम्मीद है कि ई-वे बिल लागू होने से टैक्स चोरी रुकेगी और कर राजस्व में 20 फीसदी तक बढ़ोतरी होगी. ई-वे बिल को एसएमएस के जरिये निकाला अथवा कैंसिल भी किया जा सकता है. जब भी कोई ई-वे बिल निकाला जाता है तो उसके तहत एक विशिष्ट ई-वे बिल नंबर आवंटित किया जाता है. यह नंबर आपूर्तिकर्ता, प्राप्तिकर्ता और ट्रांसपोर्टर सभी को उपलब्ध करा दिया जाता है.
(इनपुटः IANS और PTI)
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