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लंबी छुट्टी नहीं, सालाना छुट्टी पर गईं हैं चंदा कोचरः ICICI

चंदा कोचर को लंबी छुट्टी पर भेजने की आई थी खबर

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ICICI बैंक ने उन खबरों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया था कि कंपनी बोर्ड के फैसले के बाद बैंक की सीईओ चंदा कोचर को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है. कंपनी ने कहा है कि चंदा कोचर को लंबी छुट्टी पर नहीं भेजा गया है, वह अपनी सालाना छुट्टी पर गई हैं.

इससे पहले खबर आई थी कि ICICI बैंक की सीईओ चंदा कोचर को कंपनी ने लंबी छुट्टी पर जाने के लिए कहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कंपनी बोर्ड के फैसले के मुताबिक, जब तक चंदा कोचर पर लग रहे आरोपों की स्वतंत्र जांच नहीं हो जाती, तब तक के लिए उन्हें छुट्टी पर जाने को कहा गया है. बता दें, चंदा कोचर पर वीडियोकॉन ग्रुप का पक्ष लेकर उसे लोन देने में नियमों के उल्लंघन का आरोप है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि चंदा कोचर को छुट्टी पर भेजने का फैसला बैंक बोर्ड के सात इंडेपेंडेंट डायरेक्टर्स की सलाह पर लिया गया है. इस मामले में स्वतंत्र जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है. ये टीम अगले हफ्ते से शुरू होगी, जोकि दो महीने में पूरी हो जाएगी.

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आरोपों की होगी स्वतंत्र जांच

कंपनी बोर्ड के फैसले की जानकारी देने वाले शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, '15-20 दिन पहले एक नए व्हिसल ब्लोअर की शिकायत आई थी. यह हमारे संज्ञान में भी आई. बैंक बोर्ड और टॉप मैनेजमेंट ने पहले मीटिंग की और फिर इंडेपेंडेंट डायरेक्टर्स ने अलग से मीटिंग करने का फैसला किया. इसके बाद 29 मई को इंडेपेंडेंट डायरेक्टर्स ने अलग से मीटिंग की. बैंक और सीईओ के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं, इसीलिए इंडेपेंडेंट डायरेक्टर्स ने सोचा कि इस तरह के आरोपों को आंतरिक रूप से नहीं निपटाया जा सकता.'

चंदा कोचर पर क्या है आरोप

कोचर की लीडरशिप उस समय संदेह के घेरे में आ गई, जब उनके खिलाफ वीडियोकॉन समूह को नियमों की अनदेखी कर लोन देने का मामला सामने आया. आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को नियमों की अनदेखी कर लोन दिया. वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत और चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के बीच व्यापारिक संबंध थे. इस तरह के आरोप सबसे पहले साल 2016 में सामने आए थे लेकिन बैंक के बोर्ड ने उन्हें आंतरिक जांच के बाद क्लीन चिट दे दी थी.

"साल 2015-16 में पिछले व्हिस्ल ब्लोअर की शिकायत के बाद, बोर्ड ने मामले की आंतरिक जांच की थी. लेकिन इससे ज्यादा मदद नहीं मिली. शेयरहोल्डर, जमाकर्ता, कर्मचारी और इससे जुड़े सभी लोग संदेह के घेरे में हैं और उस जांच के बावजूद तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसलिए, इस बार इंडेपेंडेंट डायरेक्टर्स ने बैंक को एक स्वतंत्र जांच कराने को कहा है."

हालांकि, कुछ इंस्टीट्यूशनल शेयरहोल्डर की ओर से दबाव था, इसीलिए बैंक ने अब तक एक स्वतंत्र जांच का आदेश नहीं दिया था, क्योंकि इस मुद्दे को लेकर बोर्ड में दो राय थीं.

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