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GST में बड़ी टैक्स चोरी का शक, सिर्फ 16% रिटर्न का ही हो रहा मिलान

जीएसटी में टैक्स रिटर्न फाइलिंग और टैक्स कलेक्शन में मिलान न होने टैक्स चोरी की आशंका तेज हुई

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पिछले साल जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद दिसंबर तक कारोबारियों ने शुरुआती रिटर्न जीएसटीआर- 3B भरते हुए 34,000 करो़ड़ रुपये कम टैक्स अदा किया है. इससे बड़ी टैक्स चोरी की आशंका पैदा हुई है. खबरों के मुताबिक 34 फीसदी कारोबारियों ने जुलाई से दिसंबर तक टैक्स रिटर्न भरते समय 8.16 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि उनके जीएसटीआर-1 के आंकड़ों के मुताबिक उनकी टैक्स देनदारी 8.50 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए.

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इस एनालिसिस के मुताबिक सिर्फ 16.36 फीसदी कारोबारियों की ओर से फाइल किए शुरुआती रिटर्न और दिए गए टैक्स ही उनके फाइनल रिटर्न और टैक्स देनदारी से मेल खाते हैं. उन्होंने कुल 22,014 करोड़ टैक्स अदा किए.

राजस्व विभाग की ओर से जुलाई से दिसंबर, 2017 के बीच 51.96 लाख कारोबारियों की ओर से फाइल किए गए रिटर्न के विश्लेषण के बाद टैक्स देनदारी और अदायगी से जुड़े ये आंकड़े सामने आए हैं. देश में हाल के दिनों में सबसे बड़ा आर्थिक तौर सुधार के तौर पर आए जीएसटी को मोदी सरकार ने पिछले साल, जुलाई से लागू किया था.

अर्नस्ट एंड यंग के पार्टनर अभिषेक जैन कहते हैं,

जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3B में देनदारी का जो अंतर है, सरकार को उसका विस्तार से विश्लेषण करना होगा. इस अंतर की एक वजह जीएसटीआर-1 के आंकड़ों में क्रेडिट/डेबिट नोट पर विचार न करना भी हो सकता है.

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा, 84 फीसदी टैक्सपेयर गलत रेवेन्यू स्टेटमेंट दे रहे हैं. यह चिंता की बात है. जीएसटी तभी कारगर होगा जब सेल्फ-असेसमेंट का मैकेनिज्म काम करे. इसके लिए पूरी तरह पक्षपात रहित, स्वतंत्र, ऑटोमेटेड और डिजिटल टैक्स व्यवस्था लागू हो. अगर इतनी बड़ी तादाद में टैक्सपेयर डाटा एंट्री की गलती कर रहे हैं तो यह चिंता की बात है.

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