भारत कैश पर निर्भरता कम करके डिजिटल पेमेंट इकनॉमी बनने की तरफ आगे बढ़ता दिख रहा है. पहली बार, 2019 की चौथी तिमाही में कार्ड और मोबाइल पेमेंट्स की वैल्यू (10.57 लाख करोड़ रुपये) एटीएम निकासी (9.12 लाख करोड़ रुपये) से ऊपर चली गई. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
कैश निकासी को पछाड़ने के बाद डिजिटल पेमेंट्स ने 2020 की पहली तिमाही में भी बढ़त बनाई है. कार्ड और मोबाइल पेमेंट अभी 10.97 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू पर हैं, जबकि एटीएम निकासी घटकर 8.66 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई.
बैंकरों की मानें तो इस बदलाव को कोरोना लॉकडाउन ने तेजी दी है. इस मामले पर कोटक महिंद्रा बैंक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट शेखर भंडारी ने कहा,
‘’नोटबंदी के बाद जो हुआ था, इस स्थिति की तुलना उससे नहीं की जा सकती. कोई नहीं जानता कि कोरोना वायरस की यह स्थिति कब खत्म होने जा रही है. निकट भविष्य के लिए व्यवसायों को पता है कि वे फिजिकली ट्रांजैक्ट नहीं कर सकते.’’शेखर भंडारी, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, कोटक महिंद्रा बैंक
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के एक अधिकारी ने कहा, ''मोबाइल रीचार्ज, यूटिलिटी बिल्स से लेकर ई-कॉमर्स तक, पेमेंट ऐप्स (UPI) कार्ड्स का लोकप्रिय विकल्प बन रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि हर किसी के लिए कार्ड डीटेल्स शेयर करना सुविधाजनक नहीं होता, UPI ट्रांजैक्शन्स में सभी बैंक डीटेल्स को छिपाने की अतिरिक्त परत होती है और ये तेज भी होती हैं.
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