भारत (India) ने स्थानीय निर्माताओं को चीनी (China) सस्ते आयात से बचाने के लिए कुछ एल्युमीनियम के सामानों और कुछ केमिकल्स सहित पांच चीनी उत्पादों पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क (antidumping duties) लगाया है.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) की अलग-अलग अधिसूचनाओं के अनुसार, एल्यूमीनियम के कुछ फ्लैट रोल्ड उत्पादों, सोडियम हाइड्रोसल्फाइट, सिलिकॉन सीलेंट, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) घटक R-32 और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन मिश्रण पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया है.
क्यों लगाया गया है एंटी-डंपिंग शुल्क?
ये एंटी-डंपिंग शुल्क कॉमर्स मिनिस्ट्री की जांच शाखा डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) की सिफारिशों के बाद लगाए गए हैं.
DGTR ने अलग-अलग जांच में निष्कर्ष निकाला है कि इन उत्पादों को भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कम कीमत पर चीन के द्वारा निर्यात किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप डंपिंग हुई है. DGTR ने कहा है कि घरेलू उद्योगों को इस डंपिंग के कारण हानि हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार CBIC ने घरेलू निर्माताओं को सस्ते चीनी आयात से बचाने के लिए CKD/SKD (कम्पलीट और सेमी-नॉक्ड डाउन) में ट्रेलरों के लिए एक वाहन घटक - एक्सल पर शुल्क भी लगाया है.
इसी तरह इसने ईरान, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से कैलक्लाइंड जिप्सम पाउडर के आयात पर भी पांच साल के लिए शुल्क लगाया है.
क्यों लगाया जाता है एंटी-डंपिंग शुल्क?
देश यह निर्धारित करने के लिए एंटी-डंपिंग जांच शुरू करते हैं कि क्या घरेलू उद्योग को लागत से कम दाम पर विदेशी आयात में वृद्धि से नुकसान हुआ है. अगर ऐसा है तो वो बहुपक्षीय विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत एंटी-डंपिंग शुल्क लगाते हैं.
न्यायोचित व्यापार सुनिश्चित करने और घरेलू उद्योग को एक-समान अवसर प्रदान करने के लिए एंटी-डंपिंग उपाय किए जाते हैं. भारत और चीन दोनों ही जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य हैं.
गौरतलब है कि भारत ने चीन से डंप किए गए आयात के खिलाफ अधिकतम एंटी-डंपिंग मामले शुरू किए हैं.
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