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इस साल टारगेट से ज्यादा रह सकता है सरकार का वित्तीय घाटा,ये है वजह

मूडीज ने मंदी की वजह से कर्ज का बोझ बढ़ने की आशंका जताई थी

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मौजूदा वित्त वर्ष में भारत का राजकोषीय घाटा टारगेट से 30-50 बेसिस प्वाइंट ज्यादा रह सकता है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने 2 सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. इन सूत्रों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते टैक्स कलेक्शन पर बुरा असर पड़ा है.

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सूत्रों ने बताया कि फिलहाल सरकार वित्त वर्ष 2019-20 के राजकोषीय घाटे को GDP के 3.8 फीसदी तक रोकने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा सरकार इस आंकड़े को 3 फीसदी तक रोकने का लक्ष्य एक वित्त-वर्ष तक टाल सकती है. 

यानी यह लक्ष्य वित्त वर्ष 2021-22 तक टल सकता है. बता दें कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने राजकोषीय घाटे का अनुमान GDP के 3.30 फीसदी रहने का लगाया था.

हाल ही में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान किया था. इस घोषणा की वजह से सरकारी खजाने पर सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक, इस छूट की वजह से वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे का आंकड़ा GDP के 3.70 फीसदी पर पहुंच सकता है.

मूडीज ने हाल ही में कहा था कि अगर अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रही तो इसके गंभीर नतीजे होंगे, इसकी वजह से राजकोषीय घाटा कम करने की कोशिश को झटका लगेगा, साथ ही कर्ज का बोझ भी बढ़ता जाएगा.

मूडीज की ताजा रेटिंग में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की GDP का ग्रोथ रेट अनुमान घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया गया है. इससे पहले मूडीज ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए देश की GDP में 6.2 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया था.

बता दें कि वर्ल्ड बैंक और IMF भी भारत के ग्रोथ रेट का अनुमान घटा चुके हैं. वर्ल्ड बैंक ने भारत का ग्रोथ रेट अनुमान 7.5 फीसदी से घटा कर 6 फीसदी कर दिया है. उसने यह भी कहा है कि भारी मंदी पहले से ही संकट में चल रहे फाइनेंशियल सेक्टर की स्थिति और खराब कर सकती है.

हाल ही में IMF ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत के ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया. जबकि अप्रैल में आया उसका अनुमान 7.3 फीसदी का था.

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