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2035 तक कोविड से आई मंदी से उबर पाएगा भारत- RBI

RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मॉनेटेरी और फिस्कल पॉलिसी को रीबैलेंस करना ग्रोथ को हासिल करने में पहला कदम होगा.

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कोरोना वायरस महामारी (COVID-19 Pandemic) से पिछले दो सालों से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पटरी पर आने में अभी लंबा वक्त लगेगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी 'करंसी एंड फाइनेंस रिपोर्ट 2021-22' में अनुमान लगाया है कि साल 2034-35 तक भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से रिकवर हो सकती है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 में 19.1 लाख करोड़, 2021-22 में 17.1 लाख करोड़ और 2022-23 में 16.4 लाख करोड़ के आउटपुट नुकसान का अनुमान है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "2020-21 के लिए (-) 6.6 प्रतिशत का वास्तविक ग्रोथ रेट, 2021-22 के लिए 8.9 प्रतिशत और 2022-23 के लिए 7.2 प्रतिशत का ग्रोथ रेट और उससे आगे 7.5 प्रतिशत के ग्रोथ रेट को देखते हुए, भारत के 2034-35 तक कोविड-19 से हुए नुकसान से उबरने की उम्मीद है."

RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मॉनेटेरी और फिस्कल पॉलिसी को रीबैलेंस करना ग्रोथ की हासिल करने में पहला कदम होगा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी एक ऐसा समय है, जो इससे पहले नहीं देखा गया. बतौर रिपोर्ट, "सरकार द्वारा कैपिटल एक्सपेंडिचर पर निरंतर जोर, डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना और ई-कॉमर्स, स्टार्ट-अप, रिनीबल और सप्लाई चेन लॉजिस्टिक जैसे क्षेत्रों में नए निवेश के लिए बढ़ते अवसर, अर्थव्यवस्था में औपचारिक-अनौपचारिक अंतर को बंद कर, ट्रेंड ग्रोथ को बढ़ावा देने में योगदान दे सकते हैं."

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