जीएसटी के लेकर भारत सरकार अपनी पीठ ठोकती रही है पर वर्ल्ड बैंक इसका जो एनालिसिस किया है वो चौंकाने वाला है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक भारत ने जो जीएसटी लागू किया है वो 115 देशों में सबसे जटिल और दूसरे नंबर का सबसे ज्यादा रेट वाला ढांचा है.
भारत के कारोबारी जो बात नौ महीने से कहते आ रहे थे वर्ल्ड बैंक एक तरह से उसे सही ठहराती है. हालांकि सरकार ने बार बार जीएसटी को आसान बनाने की कोशिश की है पर लगता है कि वर्ल्ड बैंक इससे प्रभावित नहीं हुआ.
जीएसटी इस वक्त 115 देशों में लागू है. भारत में ये पहली जुलाई 2017 में लागू की गई थी.
जीएसटी में टैक्स रेट अपार
- चार मुख्य रेट हैं. 5%, 12%, 18%, और 28%
- बहुत से आइटम में जीरो रेट
- एक्सपोर्ट से जुड़े आइटम के लिए अलग नियम
- सोने के लिए 3% का अलग रेट
- हीरे जवाहरात के लिए रेट 0.25%
कई आइटम जीएसटी के दायरे से बाहर
- अल्कोहल
- पेट्रोलियम प्रोडक्ट
- स्टांप ड्यूटी
- रियल एस्टेट
- बिजली
दुनिया के करीब 49 देशों में जीएसटी का एक ही रेट है, जबकि 28 देशों में दो स्लैब और भारत समेत सिर्फ 5 देशों में चार या ज्यादा स्लैब हैं.
दुनिया के करीब 49 देशों में जीएसटी का एक ही रेट है, जबकि 28 देशों में दो स्लैब और भारत समेत सिर्फ 5 देशों में चार या ज्यादा स्लैब हैं. इटली, लक्जमबर्ग, पाकिस्तान और घाना के अलावा भारत में ही जीएसटी के इतने तरह के रेट हैं. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वादा किया है कि एक बार जीएसटी पूरी तरह पटरी में आने के बाद देश में जीएसटी के दो रेट ही होंगे 12 और 18 परसेंट.
GST में राज्यों से सहयोग नहीं मिला
वर्ल्ड बैंक ने भारत पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद कई राज्यों में इसके अमल में दिक्कत आ रही हैं. इसकी वजह है कि कई राज्यों में अभी भी जीएसटी के बावजूद लोकल टैक्स लागू हैं. जैसे तमिलनाडु में एंटरटेनमेंट टैक्स लागू कर दिया है. इसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने जीएसटी से नुकसान की भरपाई के लिए मोटर व्हीकल टैक्स बढ़ा दिया है.
कारोबारियों को जीएसटी से शिकायत
इंडस्ट्री और कारोबारियों का कहना है कि उनके खर्च बढ़ गए हैं और जीएसटी की प्रक्रिया में देरी की वजह से बहुत बड़ी रकम फंसी हुई है जो कारोबार पर बुरा असर डाल रही है.
वर्ल्ड बैंक ने इस पर फिक्र जताई है. रिपोर्ट के मुताबित जीएसटी का मकसद ही है आसान टैक्स सिस्टम पर अगर इंडस्ट्री की लागत बढ़ रही है तो फिक्र की बात है. कई तरह के टैक्स रेट होने से टैक्स भरने में बहुत वक्त लगता है. इसके अलावा इनपुट और आउटपुट मिलान करने में बहुत ज्यादा वक्त खर्च हो जाता है.
हालांकि वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव बताता है कि इसे पूरी तरह पटरी में आने में लंबा वक्त लगता है. लेकिन जरूरी है कि पूरा ढांचा इस तरह तैयार किया जाए कि इसके अमल में कम से कम रुकावटें आएं.
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक सरकार को रेट कम रखने चाहिए हों, छूट कम से कम हों और कानून और प्रक्रियाएं कम से कम हों.
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