भारतीय रिटेल सेक्टर में 2030 तक 2.5 करोड़ नए रोजगार पैदा होने की संभावना है. यह ऑफलाइन और ऑनलाइन मॉडल के साथ कुल खुदरा रोजगार के लगभग 50 प्रतिशत के बराबर होगा. नैसकॉम की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है.
प्रमुख प्रबंधन और कंसल्टिंग फर्म टेक्नोपैक के साथ नैसकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन और ऑफलाइन मॉडल अगले 10 सालों में 125 अरब डॉलर के रीटेल एक्सपोर्ट्स और 8 अरब डॉलर की इंक्रीमेंटल जीएसटी कंट्रीब्यूशन को बढ़ावा देगा.
खुदरा 4.0 घरेलू बाजार के आकार, रोजगार पैदा करने और एक्सपोर्ट में उल्लेखनीय वृद्धि करेगा. बदलती मांग और सप्लाई ड्राइवर्स के विकास की गति को तेज करने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का खुदरा बाजार वित्तीय वर्ष 2030 तक 1.5 खरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने एक बयान में कहा, “खुदरा क्षेत्र जीडीपी में दोहरे अंकों के योगदान और वित्त वर्ष 2020 में लगभग 3.5 करोड़ व्यक्तियों को रोजगार देने के साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए विकास इंजनों में से एक है.”
“भारत सरकार राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है, जो न केवल खुदरा व्यापार के लिए अनुकूल माहौल बनाएगी, बल्कि क्षेत्र के विकास में बाधा डालने वाली नीतियों को भी सरल बनाएगी.”अमिताभ कांत, नीति आयोग के सीईओ
ऑफलाइन प्लस ऑनलाइन मॉडल 2030 तक 125 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात और कुल खुदरा कर योगदान के 37 प्रतिशत के लिए लगभग 8 अरब डॉलर जीएसटी अंशदान जीएसटी योगदान के लिए सक्षम करेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ई-कॉमर्स पारंपरिक ब्रिक एंड मोर्टार से तीन-चार गुना बढ़ रहा है.
360 से ज्यादा रीटेल स्टेकहोल्डर्स पर हुए सर्वे के मुताबिक, 79 फीसदी ने महसूस किया कि प्रौद्योगिकी देश में खुदरा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
(IANS के इनपुट्स के साथ)
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