वो शादी के समय की कान की बाली, वो शादी की 25वीं सालगिरह पर उनका दिया हुआ सोने का हार. वो कान के कुंडल के जो बेटी की शादी के लिए बना कर रखा था, वो परदादी का दिया सोने का कंगन जो आज तक परिवार का विरासत था, भारतीय ये सब बेचने को मजबूर हैं. उनका सोना कोरोना के कारण पैदा हुई गरीबी लूट रही है. लोग लॉकडाउन और आर्थिक संकट के दो पाटों के ऐसे पिस रहे हैं कि अब घर में रखा सोना बेचने को मजबूर हो रहे हैं. ऐसे लोगों की तादाद बढ़ रही है. लोगों की ये बेशकीमती प्रॉपर्टी नीलाम हो रही है.
कोरोना में हाल खस्ताहाल,लोग सोने से हाथ धोने को मजबूर
अजीज प्रेमजी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के बीच 23 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा के नीचे चले गए. ग्रामीण गरीबी में 15% प्वाइंट का इजाफा हुआ जबकि शहरी गरीबी में वृद्धि का यह आंकड़ा 20% प्वाइंट का था. दूसरी तरफ CMIE के अनुसार सिर्फ कोरोना की दूसरी लहर में 1 करोड़ भारतीयों का रोजगार छिन गया जबकि 97% गृहस्थियों की आमदनी कम हो गई. ऐसे में कई भारतीयों के पास संभाल के रखे गए अपने सोने को बेचने की मजबूरी है.
कंज्यूमर पर वित्तीय संकट का अंदाजा देश के सबसे बड़े गोल्ड लोन प्रोवाइडर में से एक, मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड द्वारा किए जा रहे सोने की नीलामी के आंकड़े से लगाया जा सकता है.मणप्पुरम ने मार्च के बाद के 3 महीनों में ही 404 करोड़ रुपए का सोना नीलाम कर दिया जबकि उसके पहले के 9 महीनों में यह आंकड़ा मात्र 8 करोड़ का ही था.
यह सोना मुख्यतः दैनिक वेतन भोगी छोटे उद्यमियों और किसानों का है,जिन्होंने अपने गहने के बदले लोन लिया था और चुका नहीं पाए.
कोच्चि स्थित रिफाइनरी CGR मेटलर्जी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर ,जेम्स जोसे के अनुसार दक्षिणी भारत में आमतौर पर बेचे जाने वाले सोने में वर्तमान में लगभग 25% अधिक 'पुराना सोना' बेचा जा रहा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में 2020 में सोने की खरीद में अप्रत्याशित कमी देखी गई है, जो कि पिछले दो दशक में सबसे कम है.
सोने की बिक्री में और तेजी आएगी
ब्लूमबर्ग को लंदन स्थित 'मेटल्स फोकस लिमिटेड' के कंसलटेंट,चिराग सेठ ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण वित्तीय संकट की स्थिति पहली लहर की अपेक्षा काफी अधिक है और इसके कारण लोगों में अपना सोना बेचने की मजबूरी भी बढ़ सकती है. जबकि 2020 में पहली लहर के बाद उपभोक्ताओं ने अपने पास मौजूद सोने पर लोन लेने का विकल्प चुना था.
चिराग सेठ के अनुसार 'ग्रॉस स्क्रैप सप्लाई',जिसमें नए डिजाइन बनाने के लिए पिघला हुआ पुराना सोना भी शामिल है, 215 टन से अधिक हो सकता है और अगर कोविड-19 की तीसरी या चौथी लहर आती है तो यह बढ़कर 9 साल में सबसे ज्यादा हो सकती है.
सोना बेचने से बढ़ी लोकल सप्लाई, आयात पर दिख सकता है प्रभाव
भारत में सोने का सबसे बड़ा खरीददार ग्रामीण क्षेत्र है. लेकिन अर्थव्यवस्था और आय पर कोरोना की दूसरी लहर का विनाशकारी प्रभाव पड़ा है.इन क्षेत्रों में बैंकिंग व्यवस्था की कम उपस्थिति के कारण यहां के लोग मुश्किल वक्त में अपने सोने को बेचने का विकल्प चुन रहे हैं. विशेषकर, इसलिए क्योंकि उसे कैश कराने की प्रक्रिया आसान और तेज है.
भारत अपना लगभग सारा सोना मुख्य रूप से स्विट्जरलैंड से आयात करता है. अगर वित्तीय संकट के मद्देनजर भारत में उपभोक्ता बड़े पैमाने पर अपना सोना बेचना शुरू करते हैं तो इससे लोकल सप्लाई में इजाफा हो सकता है और यह सोने के विदेशी प्रभाव को सीमित कर सकता है.
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