ग्राउंड हो चुकी जेट एयरवेज के उबरने की संभावना अब तकरीबन खत्म हो गई है. जेट को कर्ज देने वाले बैंक अब इसे एनसीएलटी में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं. एयरलाइंस को कर्ज देने वाले बैंकों का नेतृत्व एसबीआई कर रहा है. एसबीआई की अगुआई वाले कंसोर्टियम ने आईबीसी (Insolvency and Bankruptcy Code) के बाहर मामले को सुलझाने की कोशिश की लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद जेट को National Company Law Tribunal में भेजने की तैयारी कर ली गई.
'काफी बातचीत के बाद लिया गया फैसला'
कर्ज देने वाले बैंकों ने एक बयान जारी कर कहा कि काफी विचार-विमर्श के बाद जेट एयरवेज को आईबीसी के तहत एनसीएलटी भेजने का फैसला किया गया. जेट के लिए शर्तों समेत सिर्फ एक बोली मिली. पिछले दिनों जेट में निवेश के दो सौदे सिरे नहीं चढ़ पाए. पहले लंदन के हिंदुजा ग्रुप ने जेट में हिस्सेदारी खरीदने से मना कर दिया था. इसके बाद जेट के पार्टनर रहे एतिहाद ने एयरवेज ने इसमें निवेश की अपनी योजना रोक दी.
जेट के खिलाफ एनसीएलटी में जाने वाले सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई वाला कंसोर्टियम ही नहीं है. जेट को पैसा देने वाले शमन व्हील्स प्राइवेट लिमिटेड और गग्गर इंटरप्राइज लिमिटेड ने भी अलग से दिवालिया प्रक्रिया के लिए एनसीएलटी मुंबई में आवेदन दिया था. दोनों कंपनियों ने अपने कर्ज की वसूली के लिए आवेदन दिया था.
क्या है जेट के बंद होने की कहानी?
जेट एयरवेज 8,500 करोड़ रुपये के कर्ज के तले डूबी हुई है. साल 2010 से जेट एयरवेज लगातार घाटे में है. नुकसान और कर्ज बढ़ने के बाद देनदार एयरलाइंस को और पैसा देने से मुकर गए. धीरे-धीरे कंपनी के पास कर्मचारियों की सैलरी और तेल के लिए भी पैसा नहीं बचा. इसके बाद कंपनी को अपनी उड़ानों की संख्या कम करनी पड़ी. जेट ने 118 के बजाय जेट 7 विमानों से काम चलाने लगी. आर्थिक स्थिति हद से ज्यादा खराब होने के बाद निवेशकों और लेंडर्स ने चेयरमैन नरेश गोयल को पद से हटने के लिए कहा. नरेश गोयल कंपनी से हट गए फिर भी न तो लेंडर्स और न ही किसी निवेशक ने पैसा दिया.
कंपनी के पास जब तेल तक के लिए भी पैसा नहीं बचा, तो 18 अप्रैल से सभी उड़ानें बंद हैं.
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