जेट एयरवेज को बचाने के लिए अब इसके कर्मचारी आगे आए हैं. कर्मचारियों को लग रहा है कि जेट को बचाने का वक्त खत्म होता जा रहा है. लिहाजा उन्होंने एसबीआई को चिट्ठी लिख कर कहा कि वे इसके लिए 3000 करोड़ रुपये का इंतजाम कर सकते हैं.
चिट्ठी लिख कर बोली लगाने की इजाजत मांगी
एयरलाइंस के कर्मचारियों के एक समूह ने एसबीआई को चिट्ठी लिख कर कहा है कि वह उनके कंसोर्टियम और कुछ बाहरी निवेशकों को कंपनी के लिए बोली लगाने दे.
जेट एयरलाइंस के कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि वे बाहरी निवेशकों से जेट के लिए 3000 करोड़ के निवेश की व्यवस्था कर सकते हैं.
कर्मचारियों के संगठन ने अपना यह प्रस्ताव वेलफेयर ऑफ इंडियन पायलट्स (SWIP) और जेट एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (JAMEWA) को भी भेजा है. संगठन ने कहा है कि कर्मचारी एयरलाइंस से होने वाली कमाई को इसी में लगाएंगे. वे इसकी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने पर ध्यान लगाएंगे. चिट्ठी में लिखा गया है एयरलाइंस के साथ कई समस्याएं हैं.इसमें ऊंची ऑपरेटिंग लागत, जरूरत से ज्यादा कर्मचारी जैसे मुद्दे शामिल हैं.
जेट के बंद होने से 20 हजार कर्मचारियों पर असर
जेट एयरवेज के कर्जदाता एसबीआई की अगुवाई में फिलहाल एयरलाइंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली लगा रहे हैं. ताकि कंसोर्टियम एयरलाइंस को दिए गए 8,400 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली कर सके. एसबीआई की मर्चेंट बैंकिंग इकाई एसबीआई कैप्स अप्रैल के अंत तक निवेशकों के प्रस्ताव को शॉर्टलिस्ट करेगी.
जेट को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए 400 करोड़ रुपये की फंड की जरूरत थी. उम्मीद थी कि जेट को कर्ज देने वाले बैंकों के कंसोर्टियम एसबीआई से यह पैसा मिल जाएगा. लेकिन आखिरी वक्त में बैंक ने इमरजेंसी फंड देने से इनकार कर दिया. इसके बाद जेट के पास उड़ानों के लिए पैसा नहीं बचा और उसने इन्हें पूरी तरह बंद करने का ऐलान कर दिया. जेट के बंद होने के बाद इसके लगभग 20 हजार कर्मचारियों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है.
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