बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. इसका उद्देश्य भारतीय बैंकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाना है विलय के फलस्वरूप बनने वाला बैंक एसबीआई और आईसीआईसीआई के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विलय को मंजूरी दी गई. फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "इस विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद कोई छंटनी भी नहीं होगी."
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कर्जदाता बनाने के लिए विलय की यह योजना तैयार की गई है.
शेयरों का रेशियो तय
इससे पहले बुधवार को बैंक ऑफ बड़ौदा ने विजया बैंक और देना बैंक को खुद में मिलाने के लिए इन बैंकों के साथ अपने शेयरों की अदला-बदली की दरों को अंतिम रूप दिया. विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयरधारकों को इस बैंक के प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे.
वहीं देना बैंक के मामले में, उसके शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे. सरकार ने पिछले साल सितंबर में विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय की घोषणा की थी.
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