अगर आपने किसी फ्लैट की बुकिंग (Flat Booking) की है या घर खरीदने (Home Buyers) का मन बना रहे हैं और इस चिंता में है कि कहीं हमारा पैसा ना डूब जाए, हमें सही समय पर पजेशन मिलेगा या नहीं, बिल्डर (Builder) कोई धोखा तो नहीं देगा, समस्या होने पर कोई फरियाद सुनने वाला होगा या नहीं होगा. तो आप ये जान लें कि सरकार घर की खरीदारी को आसान करने की तैयारी में है.
सरकार ने बिल्डर्स और बायर्स के बीच विवादों के निपटारे के लिए एक मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट (Model Builder Buyer Agreement) बनाने के लिए कमेटी बनाने का फैसला किया है जो अगले तीन महीने में गठित की जाएगी. सरकार का मानना है कि इससे बिल्डर और बायर के बीच के विवाद को कम करने में मदद मिलेगी.
मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट क्या है?
घर खरीदते समय आप बिल्डर के साथ एक एग्रीमेंट पर साइन करते हैं. ये घर खरीदार और बिल्डर के बीच एक कॉट्रैक्ट होता है. इस एग्रीमेंट में बिल्डर और खरीदार के बीच लेनदेन के सभी नियम और शर्तें शामिल होते हैं. इस एग्रीमेंट में घर बनाने से जुड़ी सभी शर्तें होती हैं. जैसे:
घर का साइज क्या होगा
क्या सुविधाएं होंगी
पार्क कहां होगा
फ्लोर एरिया कितना होगा
घर में बिजली-पानी का कनेक्शन
घर की कीमत
इसे चुकाने जैसे सभी शर्तें इसमें होती हैं.
एग्रीमेंट को तैयार करने वाली कमेटी में जज, राष्ट्रीय और राज्य उपभोक्ता आयोग यानी कंज्यूमर कोर्ट के सदस्य, वकील और अलग-अलग कंज्यूमर एंटीटी के सदस्य शामिल होंगे. एग्रीमेंट में क्या होगा इसको लेकर अलग अलग राज्य भी अपना योगदान देंगे फिर इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा.
सरकार का मानना है कि बिल्डर बायर के बीच जो विवाद होते हैं वो आसानी से सुलझाए जा सकते हैं बस जरूरत है एक कानूनी दस्तावेज की जो है बिल्डर बायर एग्रीमेंट.
अब आप पूछेंगे की Real Estate (Regulation and Development) Act यानी रेरा तो पहले से ही बना है तो फिर इसकी क्या जरूरत?
रेरा को लागू करना एक अच्छा कदम है. बायर्स और बिल्डर के बीच के विवादों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हाउसिंग सेक्टर से जुड़े करीब 5.50 लाख शिकायतों में से 45% शिकायतें तो देरी से पजेशन मिलने को लेकर है. 12% रिफंड से जुड़ा है. अब रेरा बड़ी बड़ी शिकायतों को सुन रहा है लेकिन बायर्स की छोटी-मोटी शिकायतें भी हैं जो जायज हैं. इसलिए केवल रेरा पर्याप्त नहीं है. अब बायर्स की 5.5 लाख शिकायतों में से कुछ शिकायत घटिया निर्माण को लेकर है, तो ऐसी समस्याओं का निपटारा तेजी से हो इसके लिए बिल्डर बायर एग्रीमेंट काम करेगा.
घर खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखें?
घर खरीदने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. जैसे आप घर किससे खरीद रहे हैं पहले उसके बारे में थोड़ी जानकारी जुटा लें. अब ये जानकारी कहां से जुटाएं.
गूगल सर्च कर लें
बिल्डर के रिव्यूज पढ़ लें
हर राज्य के रेरा की वेबसाइट है उस पर बिल्डर के प्रोजेक्ट्स को देख सकते हैं
रेरा ये भी बताता है कि अगर किसी ने उस बिल्डर पर शिकायत दर्ज की है तो वो कितनी है
प्रोजेक्ट को लेकर शिकायतों के बारे में कंज्यूमर कोर्ट में जा कर पता कर सकते हैं
बिल्डर पर शिकायतें ज्यादा दर्ज हैं तो सतर्क हो जाए, छोटी मोटी शिकायतों को नजरअंदाज कर सकते हैं
इसके अलावा आप बिल्डर से जरूरी डॉक्यूमेंट मांग लीजिए. जैसे:
अप्रूव्ड प्रोजेक्ट प्लान
जमीन से जुड़े डॉक्यूमेंट
डीड ऑफ डेक्लेरेशन
प्रोजेक्ट पूरा हो गया है तो ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट
इन डॉक्यूमेंट को वेरिफाय कर लीजिए
फिर एक अच्छा वकील करके जांच करवाएं कि प्रोजेक्ट लीगल है या नहीं.
ध्यान रहे आप लैंड राइट्स यानी अनडिवाइडेड शेयर्स के भी हकदार हैं, इसके बारे में पहले ही बिल्डर से पूछ लें. इसमें खासकर होम बायर्स को धोखा मिलता है.
बिल्डर की शिकायत कहां करें?
अगर आपके साथ किसी भी तरह का धोखा होता है तो आप रेरा की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं, इसके अलावा कंज्यूमर कोर्ट भी जा सकते हैं.
घर बनाना और खरीदना आसान काम नहीं है थोड़ी मेहनत तो आपको भी करनी होगी.
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