चॉकलेट और नूडल्स जैसे प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया की 100 करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी पकड़ी गई है. कंपनी जीएसटी दर में कमी के बावजूद ग्राहकों तक उसका फायदा नहीं पहुंचाने की दोषी पाई गई है.
जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी रोकने वाले महानिदेशालय (डीजीएपी) ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि नेस्ले इंडिया ने जीएसटी दर में कमी का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया और मुनाफाखोरी की है. उसने जीएसटी दर कम होने के बावजूद प्रोडक्ट की कीमत नहीं घटाई.
नेस्ले ने दी ये सफाई
कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि नेस्ले ऐसे मामलों में खुद से ही राशि को कंज्यूमर वेलफेयर फंड में जमा करा देती है.
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जीएसटी में कटौती का फायदा ग्राहकों को पहुंचाने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं. जहां प्रोडक्ट की एमआरपी के चलते तुरंत ग्राहकों को कीमत कटौती का फायदा नहीं पहुंचाया जा सकता है, वहां कंपनी उस पैसे को अलग रखती है और उसे अपने मुनाफे या बिक्री में नहीं दिखाती है.''
नेस्ले इंडिया किटकैट, मंच, मिल्कीबार जैसे चॉकलेट, मैगी नूडल्स, टोमैटो केचप, नेसकैफे, एवरीडे मिल्क पाउडर, सेरेलैक जैसे तमाम एफएमसीजी प्रोडक्ट बेचती है.
जीएसटी परिषद ने 178 प्रोडक्ट पर जीएसटी की दर कम की है, जिसमें चॉकलेट, मॉल्ट, खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाला आटा, वेफर्स और वेफर्स वाले चॉकलेट शामिल हैं.
बता दें कि जीएसटी के तहत ही व्यवस्था की गई है कि जब दाम में कटौती का फायदा ग्राहकों को नहीं पहुंचाया जा सके, तो उस राशि को एक कंज्यूमर वेलफेयर फंड में जमा कराना होता है. कंपनी के प्रवक्ता ने एक ई-मेल के जवाब में बताया कि कंपनी ने इस राशि को कंज्यूमर वेलफेयर फंड में जमा कराया है.
(इनपुट: भाषा)
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