भारत को आज युवाओं का देश कहा जाता है यानी युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा है लेकिन यही युवा एक दिन बूढ़े भी होंगे. नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक बुजर्गों की आबादी 30 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है. लेकिन क्या भारत बुजुर्गों (Senior Citizen) की आबादी को सेवा देने के लिए तैयार है? क्या उनके लिए स्वास्थ्य सेवाओं का बाजार तैयार है? उनकी आर्थिक सुरक्षा का क्या होगा, क्योंकि उनके लिए कोई बड़ी पेंशन योजना नहीं है? ऐसे ही सवालों के जवाबों का एक प्रस्ताव नीति आयोग ने सरकार को सौंपा है.
सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने भारत में आने वाले समय की वृद्ध आबादी के लिए चिंता जाहिर करते हुए एक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट का नाम - Senior Care Reforms in India - Reimagining the Senior Care Paradigm' है.
नीति आयोग ने कहा कि की वरिष्ठ नागरिकों को सेवाओं तक आसान पहुंच देने के लिए और उनकी सही तरीके से देखभाल के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल विकसित किया जाना चाहिए.
वरिष्ठ नागरिकों की आबादी पर क्या कहता है नीति आयोग?
जनसंख्या की उम्र बढ़ना वैश्विक घटना है, कई देश जैसे जापान में भी वरिष्ठ नागरिकों की संख्या अत्यधिक है और दुनिया भर में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. भारत में भी ऐसा हो रहा है.
वर्तमान में भारत की जनसंख्या का 10% हिस्सा वरिष्ठ नागरिकों का है यानी भारत में कुछ 10 करोड़ 40 लाख वरिष्ठ नागरिक हैं. रिपोर्ट ने माना है कि 2050 तक वरिष्ठ नागरिकों की संख्या भारत की कुल जनसंख्या का 19.5% हो जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक हर साल बुजुर्गों की आबादी में 3% की वृद्धी हो सकती है जो 2050 तक बढ़कर 30 करोड़ 19 लाख हो सकती है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत के प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) में कमी आ चुकी है. ये इस समय 2.0 से भी कम है यानी एक औरत औसतन दो बच्चे पैदा कर रही है. वहीं बढ़ती जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी रेट) भी एक कारण है. फिलहाल यह 70 वर्ष से ज्यादा है यानी भारत में औसतन लोग अब 70 साल से ज्यादा समय तक जीते हैं.
वरिष्ठ नागरिकों के लिए नीति आयोग ने क्या सुझाव दिए?
रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्गों की आबादी के लिए टैक्स व्यवस्था में बदलाव, अनिवार्य बचत योजना, हाउसिंग प्लान जैसी योजना बनानी होगी.
"चूंकि भारत में सामाजिक सुरक्षा का ढांचा सीमित (यानी कोई बड़ी पेंशन योजना या अन्य बड़ी योजना नहीं है जो रिटायरमेंट के बाद लोगों के लिए काम आ सके) है, इसलिए ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक अपनी बचत पर मिलने वाले ब्याज पर निर्भर रहते हैं. लेकिन ब्याज दरों में बदलाव होता रहता है इस वजह से उनकी आय में कई बार कमी आती है. इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों की जमा पर मिलने वाले ब्याज दरों को निर्धारित करने के लिए एक नियामक तंत्र की जरूरत है."नीति आयोग
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि वृद्ध महिलाओं को और रियायत देने से उनकी वित्तीय भलाई में योगदान मिलेगा.
बुजुर्ग आबादी को वित्तीय बोझ से बचाने के लिए उनके लिए बाजार में मिलने वाले सामान, उपकरणों टैक्स और जीएसटी व्यवस्था में सुधार की जरूरत है."
रिपोर्ट में निजी सेक्टर से भी कहा गया है कि वे अपना सीएसआर फंड का हिस्सा इस ओर लगाए. इसने पीपीपी मॉडल के माध्यम से निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी विकसित करने पर भी जोर दिया, ताकि कंसल्टेशन से लेकर डाइग्नोसिस और इलाज तक मेडिकल केयर सेवाओं में वरिष्ठ लोगों को रियायती कीमतों पर सामान मिल सके.
रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि वृद्ध लोगों के सामानों का बाजार 57 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.
भारत में बड़ा होगा हेल्थ केयर सेवा का बाजार?
भारत में 75 प्रतिशत से ज्यादा बुजुर्ग पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं. ये आंकड़े ये भी बताते हैं कि भारत में होम-बेस्ड केयर का बाजार बढ़ सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हेल्थ केयर सर्विस का बाजार 2020 में 6.2 बिलियन डॉलर (50,840 करोड़ रुपये) होने का अनुमान लगाया गया था और 2027 तक इसके 21.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1.74 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है.
कुल मिलाकर बात ये है कि भारत में आने वाले समय में बुजुर्गों की संख्या बढ़ जाएगी, इसीलिए जरूरी है कि देश में टैक्स व्यवस्था से लेकर बाकी बुनियादी ढांचे भी बुजुर्गों के अनुकुल होने चाहिए.
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