नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के शीर्ष अधिकारियों से जुड़े को-लोकेशन घोटाले मामले में CBI ने कोर्ट में बड़ा दावा किया है. शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत को CBI ने बताया कि, NSE का पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian) ही 'हिमालय का योगी' है. NSE की पूर्व प्रबंध निदेशक (MD ) चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) के फैसलों को प्रभावित करने के लिए आनंद सुब्रमण्यम ने 'हिमालय का योगी' बनने का नाटक किया था.
समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने कोर्ट में कहा कि, "आनंद सुब्रमण्यम एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं. उन्हें लगता है कि वो हिमालय के योगी का नाटक करके बच जाएंगे, लेकिन हमने उन्हें पकड़ लिया हैं. वो जांच में बाधा डाल सकते हैं."
मामले में जज ने की टिप्पणी
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुब्रमण्यम की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि, आप (आनंद सुब्रमण्यम) हिमालय के वह योगी हैं जो दैवीय शक्तियों के साथ हिमालय पर रह रहे थे. मामले में CBI चार साल से सो रही थी. अब पता नहीं कहां से जाग गई है. इसका क्या कारण है ये मुझे नहीं पता."
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कोर्ट में कहा कि, SEBI की ओर से की गई दो पूछताछ में सुब्रमण्यम के खिलाफ कुछ भी नहीं पाया गया है.
जज संजीव अग्रवाल ने CBI और सुब्रमण्यम के वकीलों की दलील सुनने के बाद जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब 24 मार्च को कोर्ट मामले में फैसला सुना सकती है.
NSE की पूर्व MD रामकृष्ण सोमवार से 7 दिन की CBI रिमांड पर हैं. वहीं इस फैसले के दो दिन बाद, बुधवार को सुब्रमण्यम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
क्या है पूरा मामला?
SEBI ने NSE और उसके पूर्व CEO चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण को सुरक्षा अनुबंध नियमों के उल्लंघन और वरिष्ठ स्तर की नियुक्तियों में अनियमितताओं पर जुर्माना लगाया था.
11 फरवरी को SEBI ने अपने आदेश में कहा कि, "चित्रा रामकृष्ण ने CEO और एमडी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आध्यात्मिक शक्तियों से प्रभावित होकर फैसले लिए. आनंद सुब्रमण्यम जो कथित तौर पर 'योगी' के सहयोगी हैं, उन्होंने रामकृष्ण के नीचे काम करते हुए अनुचित लाभ उठाया है."
NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण पर स्टॉक एक्सचेंज के फाइनेंशियल और बिजनेस प्लान, डिविडेंड, फाइनेंशियल रिजल्ट सहित कई गोपनीय जानकारी जानकारियां किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा करने का आरोप है.
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