चुनाव के बाद पेट्रोलड-डीजल के दाम फिर बढ़ सकते हैं. सऊदी अरब की ओर से कच्चे तेल के उत्पादन में कमी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतें कम से कम 30 फीसदी बढ़ चुकी हैं. इसका असर पेट्रोल डीजल की कीमत पर पड़ना तय है. सरकार चुनाव की वजह से अभी यह बोझ लोगों पर नहीं डालेगी लेकिन इसके बाद यह तय है कि इसकी कीमतें बढ़ेंगी. जाहिर है इससे महंगाई में भी इजाफा होगा.
सऊदी अरब में उत्पादन की कटौती से कच्चे तेल के दाम बढ़े
सऊदी अरब की ओर कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती से पिछले तीन महीने में क्रूड के दाम बढ़ चुके हैं. सऊदी अरब के इस फैसले से दुनिया भर के कई देशों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने गुरुवारको सऊदी अरब की उत्पादन कटौती को लेकर आलोचना की है.
एजेंसी ने कहा कि सऊदी अरब ने वादाखिलाफी की है. तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक की अगुआई करने वाले सऊदी अरब ने प्रॉडक्शन में कुछ ज्यादा ही कटौती कर दी है. इस वजह से कच्चे तेल का उत्पादन मार्च में दो महीने की निचले स्तर पर पहुंच गया.
वेनेजुएला में भी राजनीतिक अस्थिरता की वजह से तेल उत्पादन में कमी आई है. इन दोनों कटौतियों का असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर पड़ा है और सप्लाई कम हो गई है. इससे जनवरी से मार्च, 2019 के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत 50 डॉलर से बढ़कर 65 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है.
भारत में जनवरी से मार्च तक पेट्रोल की कीमत में चार रुपये की बढ़ोतरी
भारत में पिछले कुछ समय से पेट्रोल-डीजल के दामों में तेज बढ़ोतरी नहीं हो रही है लेकिन जनवरी से मार्च के बीच पेट्रोल की कीमत चार रुपये लीटर तक बढ़ चुकी है. अगर सरकार चुनाव के बाद कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव को झेलने का फैसला नहीं करती है तो इनकी कीमतें बढ़ सकती है. इससे महंगाई में इजाफा हो सकता है. इसका असर रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी पर पड़ सकता है. सरकार महंगाई को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती रोक सकती है.
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