साल 2018 का बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं. 1 फरवरी को संसद में वित्तमंत्री इसे पेश करेंगे. लेकिन बजट भाषण के दौरान कई ऐसे टर्म हम सुनते हैं, जिसे समझ पाने में परेशानी होती है. ये ऐसे शब्द हैं, जिनसे हमारा सामना हर बजट के दौरान होता है.
तो इस बार वित्तमंत्री के बजट भाषण को सुनते समय ये शब्द आपको परेशान न करें, इसलिए फटाफट इस लिस्ट को पढ़ डालिए, ताकि इस बार का बजट भाषण सिरदर्द न बने.
केंद्रीय बजट- Union Budget
बजट भारत की सालाना रिपोर्ट है, जिसमें सरकार आय और व्यय का ब्योरा पेश करती है. इसके तहत सरकार ये तय करती है कि आने वाले साल के लिए देश के विकास से जुड़ी किन योजनाओं पर कितना खर्च करना है और उन खर्चों के लिए रेवेन्यू/धन की व्यवस्था कैसे करनी है.
केंद्र सरकार अपना बजट हरेक वित्त वर्ष के लिए बनाती है. इस वित्तीय वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होती है.
वित्त विधेयक- Finance Bill
सरकार नया टैक्स लगाने और टैक्स प्रस्तावों में बदलाव का काम वित्त विधेयक के जरिए करती है. इसे संसद एक साल के लिए मंजूरी देती है, जो उस वित्त वर्ष के लिए वित्त अधिनियम बन जाता है.
सरकारी व्यय- Public expenditure
सरकारी व्यय को दो हिस्सों में बांटा जाता है- योजनागत व्यय और गैर योजनागत व्यय. योजनागत व्यय में वे सभी खर्च आते हैं, जो कई डिपार्टमेंट की ओर से चलाई जा रही योजनाओं पर किया जाता है. इसका एस्टिमेट अलग-अलग मंत्रालय और योजना आयोग मिल कर तय करते हैं.
गैर योजनागत व्यय के दो हिस्से होते हैं- गैर योजनागत राजस्व व्यय और गैर योजनागत पूंजीगत व्यय. गैर योजनागत राजस्व व्यय में ब्याज की अदायगी, सब्सिडी, सरकारी कर्मचारियों को वेतन की अदायगी, राज्य सरकारों को ग्रांट, विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले ग्रांट आदि शामिल होते हैं. वहीं गैर योजनागत पूंजीगत व्यय में डिफेंस, पब्लिक इंटरप्राइजेज को दिया जाने वाला कर्ज, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिया जाने वाला कर्ज शामिल होता है.
राजस्व घाटा- Revenue Deficit
राजस्व घाटे का मतलब ये है कि सरकार ने जितने रेवेन्यू का अनुमान लगाया था, उससे ज्यादा का खर्च हो गया. मतलब ये है कि अनुमान किए गए रेवेन्यू और खर्चे के बीच का अंतर राजस्व घाटा कहलाता है.
राजकोषीय घाटा- Fiscal Deficit
सरकार को मिलने वाले कुल रेवेन्यू और कुल खर्च के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं.
विनिवेश- Disinvestment
सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है. दरअसल इस प्रोसेस के तहत सरकार घाटे में चल रहे पब्लिक सेक्टर की उन कंपनियों या उपक्रमों की कुछ हिस्सेदारी को शेयर या बांड के रूप में बेचती है. इससे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल सरकार या तो उस कंपनी को बेहतर बनाने में करती है या किसी दूसरी योजनाओं में इसको लगाती है.
प्रत्यक्ष कर- Direct tax
डायरेक्ट टैक्स वो टैक्स होता है जिसे आपसे सीधे तौर पर वसूला जाता है. ये आपके या संगठनों की किसी भी स्रोत से हुई इनकम पर लगाई जाती है. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
अप्रत्यक्ष कर- Indirect tax
ये वो टैक्स है जिसे आप सीधा नहीं जमा कराते, लेकिन ये आप ही से किसी और रूप में वसूला जाता है. आपके सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान आप ये टैक्स देते हैं. देश में तैयार, एक्पोसर्ट या इंपोर्ट किए गए सभी सामानों पर लगाए जाने टैक्स अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं. लेकिन 1 जुलाई, 2017 सारे अप्रत्यक्ष कर GST में समाहित हो गए हैं.
सब्सिडी- Subsidies
सरकार की ओर से व्यक्तियों या समूहों को नकदी या टैक्स से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है.
जीडीपी- GROSS DOMESTIC PRODUCT
जीडीपी यानी GROSS DOMESTIC PRODUCT देश की अर्थव्यवस्था की सेहत बताने वाला सबसे प्रमुख पैमाना है. एक साल के दौरान मैन्यूफैक्चर्ड सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है. इसमें कृषि, उद्योग और सेवा - तीन सेक्टर शामिल होते हैं.
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