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रिजर्व बैंक तूने ये क्या किया,रुपये को क्यों इतना गिरने दिया 

रुपये की कमजोरी को थामने की आरबीआई से उम्मीद 

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लगातार गिरते रुपये के थामने में रिजर्व बैंक नाकाम रहा है. आरबीआई ने पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट 6.5 और रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है. इससे पहले भी लगातार दो मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई है. लेकिन इस बार इसमें कोई तब्दीली नहीं की गई. कच्चे तेल में तेजी और डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट के कारण उम्मीद जताई जा रही थी कि रुपये में गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

कैसे थमेगी रुपये में गिरावट ?

शुक्रवार को रुपया पहली बार 74 रुपये से भी नीचे आ गया. यह अब तक का न्यूतम स्तर है. हालांकि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि उभरते बाजारों की करेंसी की तुलना में रुपये की गिरावट कम है.

आरबीआई के ऐलान के बाद रुपये में 0.6 फीसदी की गिरावट आ गई है. इस साल अब तक रुपया, डॉलर की तुलना में 14 फीसदी गिर चुका है. एशियाई मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन रुपये का ही रहा है.
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खराब लिक्विडिटी की वजह से रुपये पर और दबाव

आरबीआई ने यह फैसला ऐसे वक्त में लिया है जब बाजार में लिक्विडिटी की स्थिति अच्छी नहीं है. इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी IL&FS को बचाने और बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये बांड परचेजिंग के जरिये झोंकने का फैसला किया है.

विदेशी निवेशकों इस साल अब तक 9.7 अरब डॉलर निकाल कर ले जा चुके हैं. ऐसे में सरकार के सामने चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी का संकट और गहरा गया है. सरकार ने इंपोर्ट टैरिफ बढ़ाया है और कंपनियों को बाहर से पूंजी जुटाने की छूट दी है. लेकिन इससे भी रुपये की गिरावट रोकने में मदद नहीं मिली है. रुपये में गिरावट सरकार के लिए आर्थिक संकट का सबब बनता जा रहा है. हाल में केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने कहा था कि रुपये की कमजोरी बड़ा आर्थिक संकट बनती जा रही है.

ये भी पढ़ें : रिजर्व बैंक ने दरें नहीं बढ़ाईं तो रुपया रूठकर निकला 74 के पार

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