आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफे के एक दिन बाद केंद्रीय बैंक के कर्मचारी यूनियन ने कहा है कि नए गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों के चयन के लिए विशेषज्ञों का कॉलेजियम बनाया जाना चाहिए. इससे आरबीआई की स्वायत्तता बरकरार रहेगी.
निजी वजहों का हवाला देकर विरल आचार्य ने दिया था इस्तीफा
रिजर्व बैंक ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि आचार्य ने निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वह 23 जुलाई तक मिंट रोड कार्यालय में अपने पद पर रहेंगे. आचार्य रिजर्व बैंक के सबसे कम उम्र के डिप्टी गवर्नर हैं. भारतीय रिजर्व बैंक कानून की धारा 8 के तहत गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों की नियुक्ति सरकार करती है.
रिजर्व बैंक के कर्मचारियों की यूनियन द ऑल इंडिया रिजर्व बैंक इंप्लॉयज एसोसिएशन ने मंगलवार को एक बयान में कहा
इस तरह के संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का फैसला मंत्रालय के कुछ अधिकारियों की ओर से नहीं किया जाना चाहिए. न ही वित्त मंत्री को यह काम करना चाहिए. इस तरह की नियुक्ति विशेषज्ञों के कॉलेजियम की ओर से की जानी चाहिए. इस कॉलेजियम में केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर, अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकर और अर्थशास्त्री शामिल होने चाहिए.
यूनियन ने कहा,सिर्फ कॉलेजियम ही परख सकता है सही कैंडिडेट
यूनियन ने कहा कि सिर्फ इस तरह का निकाय ही ऐसे पद के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता, ज्ञान और अनुभव का सही तरीके से आकलन कर सकता है. इस तरह की नियुक्तियां ही रिजर्व बैंक की निष्पक्षता और स्वायत्तता बरकरार रख सकती है. इससे केंद्रीय बैंक राजनीतिक हस्तक्षेप और नियुक्तियों में जान बूझ कर दखल दिए जाने से बचा रहेगा.
यूनियन ने कहा, ‘समय से पहले विरल आचार्य का जाना अफसोस की बात है. उसने कहा कि आचार्य के इस्तीफे के पीछे निजी कारण बताया जा रहा है. लेकिन यह सचाई नहीं है. स्वायत्तता और स्वतंत्रता को लेकर वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच की खींचतान ही विरल के जाने की वजह बनी.
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