देश में बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता के बीच इस साल के शुरुआती 4 महीनों में लोगों ने बड़े पैमाने पर अपने पास नकदी संभाल कर रखी. अपने पास नकदी रखने का इन 4 महीनों का आंकड़ा पिछले पूरे साल के आंकड़े से ज्यादा है. अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के डेटा के आधार पर यह जानकारी दी है.
इस साल जनवरी से 1 मई के बीच प्रसार में नकदी का आंकड़ा 2.66 लाख करोड़ रुपये बढ़ा था, जबकि पूरे 2019 (जनवरी से दिसंबर) में बढ़ोतरी का यह आंकड़ा 2.40 लाख करोड़ रुपये था.
वित्तीय तंत्र में ज्यादा नकदी ऐसे समय में आई है जब देश में आर्थिक गतिविधियां धड़ाम से गिरी हैं. आम तौर पर आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने पर ही वित्तीय प्रणाली में नकदी का प्रसार बढ़ता है, क्योंकि लोगों को लेनदेन के लिए ज्यादा नकदी की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा त्योहारों और चुनावों के दौरान भी नकदी की मांग बढ़ जाती है.
आर्थिक गतिविधियां कम होने के बावजूद भी नकदी का प्रसार बढ़ने का मतलब यह निकाला जा रहा है कि लोग बैंकों में रकम जमा करने के बजाए बड़े पैमाने पर नकदी अपने पास रख रहे हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह स्थिति मोटे तौर पर आर्थिक अनिश्चितताओं की ओर इशारा करती है. बैंकिंग नियामक आरबीआई के लिए यह एक कठिन चुनौती बन सकती है.
इस बीच, बैंकों ने मंगलवार तक आरबीआई के पास 8.53 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी जमा की. बताया जा रहा है कि बैंक फिलहाल जोखिम लेने से बच रहे हैं, इसलिए ऋण आवंटित करने के बजाय केवल 3.75 फीसदी ब्याज हासिल करने के लिए आरबीआई के पास नकदी रख रहे हैं.
हालांकि, माना जा रहा है कि लॉकडाउन खुलने के बाद आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से अनिश्चितता कम हुई तो लोग नकदी का इस्तेमाल बढ़ाएंगे और दोबारा बैंकों में इसे जमा करेंगे. इससे बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़ जाएगी. ऐसा न होने की सूरत में आरबीआई को बैंकों को राहत पहुंचाने के लिए कोई उपाय तलाशना होगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)