साल के नौवें महीने में अगर आपको पता चले कि शेयर बाजार में सालभर जो कमाई की वो सब एक ही दिन में खत्म हो गई, तो कैसा लगेगा? दरअसल, 17 सितंबर को शेयर बाजार में साल की बड़ी गिरावट दर्ज की गई. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 642.22 प्वाइंट लुढ़क कर 36,481.09 पर बंद हुआ. वहीं एनएसई निफ्टी 185.90 प्वाइंट गिरावट के साथ 10,817 पर पहुंच गया. वहीं यूरोप का बाजार भी गिरावट के साथ खुला है और जर्मनी के इंडेक्स में 3 फीसदी की गिरावट है.
भारत में शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट की एक, दो नहीं कई वजह हैं. इनमें पांच प्रमुख वजह यहां हम आपको बता रहे हैं.
तेल ने किया फेल
शेयर बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह है- कच्चा तेल. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है. इराक के बाद भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता सऊदी अरब है. कच्चे तेल के दाम में भारी उछाल आया है. सऊदी अरामको में ड्रोन हमले के बाद कच्चा तेल का रेट 13 फीसदी बढ़ गया है. उसके बाद डॉलर की कीमत में भी सबसे बड़ी बढ़ोतरी हुई है. एक थ्योरी है, अगर क्रूड ऑयल में 10 डॉलर की बढ़ोतरी होती है, तो एक अनुमान है कि जीडीपी 0.25 फीसदी खत्म हो गई.
ब्याज दर में कटौती खटाई में
सऊदी अरब के ऑयल रिफाइनरी में आग लगने के बाद हर दिन 57 लाख बैरल तेल उत्पादन घट रहा है. अगर उत्पादन को जल्द बढ़ाया नहीं गया, तो अतंरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत बढ़ती रहेगी. अगर ऐसा लंबे समय तक चलता रहा, तो रिजर्व बैंक ब्याज दरों में आगे करने वाली कटौती को रोक सकता है.
भाग रहे विदेशी निवेशक
विदेशी निवेशक भारत में अपने निवेश से लगातार हाथ खींच रहे हैं. बजट पेश होने वाले माह जुलाई और उसके अगले माह अगस्त में FPI 15-15 हजार करोड़ रुपये की बिकवाली की. इस महीने सितंबर में विदेशी निवेशक करीब 5500 करोड़ निकाल चुके हैं.
'कहां हो सरकार'
देश को आर्थिक मंदी से निकालने के लिए हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े ऐलान किए हैं. रियल एस्टेट से लेकर विदेशी निवेशकों तक के लिए ऐलान किए गए. लेकिन मार्केट फिर भी संतुष्ट नहीं है, मार्केट इससे खुश दिखाई नहीं दे रहा है.
खरीददार गायब है
देश में एक्चुअल मार्केट और शेयर मार्केट दोनों जगह से खरीददार गायब है. मार्केट में ऐसी गिरावट कब तक रहेगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं लग पा रहा है. इसी डर से शेयर बाजार में भी निवेशक पैसा लगाने से डर रहे हैं.
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