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शेयर बाजार की इस तेज रफ्तार चाल से थोड़ी दूरी बना कर रखिये

कुछ शेयरों की तेजी के दम पर मार्केट में रफ्तार 

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शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से लगातार तेजी देखी जा रही है. इस कारोबारी सीजन के आखिरी दिन सेंसेक्स में पिछले छह महीने की सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़ोतरी दर्ज की गई. जबकि निफ्टी में पिछले एक साल की सबसे बड़ी बढ़ोतरी दर्ज हुई. शुक्रवार को सेंसेक्स 36,541 और निफ्टी 11,000 के ऊंचे स्तर पर बंद हुआ.

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  • सवाल उठता है आखिर ट्रेड वॉर के बढ़ते खतरों, फेड रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी से भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था से डॉलर का तेज गति से बाहर जाने और बढ़ते तेल कीमतों की वजह से राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी के बीच शेयर बाजार क्यों तेजी से कुलांचे भर रहा है?
  • महंगाई दर मे लगातार बढ़ोतरी हो रही है और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट है. इसके बावजूद शेयर बाजार का हाल क्यों अच्छा है?
ग्लोबल और घरेलू अर्थव्यवस्था दोनों जगह हालात अच्छे न होने के बाद भी भारतीय शेयर में अगर उछाल है तो इसकी वजह कुछ कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन के बाद बाजार में बैठे बड़े निवेशकों की खरीदारी है. यह कुछ बड़े निवेशकों का खेल है और इसमें छोटे निवेशक के हाथ कुछ नहीं आ रहा है.

पिछले दिनों टीसीएस और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों ने बाजार को रफ्तार दी. यह रफ्तार फंडामेंटल मजबूती का नतीजा नहीं है. इसलिए इस तेजी में आप बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो रुक जाइए. यह तेजी जल्द ही नीचे आएगी. ग्लूम, ब्लूम और डूम के पब्लिशर्स, एडीटर और दिग्गज निवेशक सलाहकार मार्क फेबर का कहना है कि भारतीय बाजार अभी 20 फीसदी नीचे जा सकता है.

अब इकोनॉमी के कुछ मोटे संकेतों पर नजर एक नजर डालें

  • 2017 में रियल एस्टेट मार्केट सात साल के निचले स्तर पर पहुंच गया और तब से उठा नहीं है
  • मुंबई में प्रॉपर्टी की कीमत 1.4 फीसदी बढ़ी है. नोएडा में 1.8 फीसदी की गिरावट है
  • गुरुग्राम में 2.6 फीसदी की गिरावट है और नोएडा में 1.8 फीसदी
  • मैन्यूफैक्चरिंग की हालत खराब है, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट है
  • महंगाई का खतरा लगातार बढ़ रहा है इससे ब्याज दरें महंगी होने का डर
  • UNCTAD की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में एफडीआई घट कर 40 अरब डॉलर हो गया
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में एफडीआई 44 अरब डॉलर थी
  • इसके बावजूद शेयर बाजार में खासी तेजी दिखी. लेकिन इस तेजी का असर छोटे निवेशकों को नही मिला क्योंकि स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स इस इस सप्ताह के कारोबारी सीजन में क्रमश: 12 और 15 फीसदी कमजोर रहे.  जबकि इसी दौरान टीसीएस के शेयरों की कीमत इस वर्ष 49 फीसदी बढ़ गई.
कोटक महिंद्रा के शेयर 38 फीसदी बढ़े.  इन्फोसिस, एचयूएल और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा शेयरों में क्रमश: 28 , 27 और 25 फीसदी मजबूत हुए. इन सभी शेयरों के दाम में बढ़ोतरी का साझा असर सेंसेक्स में दिखा और यह सात फीसदी चढ़ गया. सेंसेक्स के 30 शेयरों के मुकाबले बीएसई 100 इंडेक्स के 100 शेयरों को महज दो फीसदी बढ़ोतरी मिली.

इस तेजी की बुनियाद ठोस नहीं

कहने का मतलब यह है कि बाजार की यह बढ़ोतरी व्यापक नहीं थी. सिर्फ कुछ चुनिंदा बड़ी कंपनियों के शेयरों में उछाल की वजह से बाजार बढ़ा है. साफ है बाजार पर तेजड़िये हावी हैं जो खरीदार कर बाजार में कृत्रिम तेजी पैदा कर रहे हैं. ऐसे में आम निवेशक बाजार से दूर रहें तो अच्छा है. क्योंकि यह तेजी इकनॉमी की फंडामेंटल मजबूती पर खड़ी नहीं है. बाजार को जल्द ही नीचे आना है. इसलिए हम और आप जैसे छोटे निवेशक बाजार की इस बहार से दूर रहें तो अच्छा होगा.

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