पिछले साल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश की समीक्षा के लिए टाटा संस (TATA Sona) लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) याचिका दी थी. आदेश में 100 अरब डॉलर के साल्ट -टू -सॉफ्टवेयर (Salt-To-software) ग्रुप द्वारा उन्हें हटाने का समर्थन था. अब इस पर 9 मार्च को एक खुली अदालत में सुनवाई की जाएगी.
यह था पूरा मामला
साइरस मिस्त्री ने अक्टूबर 2016 में टाटा ग्रुप का अध्यक्ष संभाला था और चार साल से कम समय में ग्रुप ने उन्हें हटा दिया था.
साइरस इन्वेस्टमेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट से अपने मार्च 2021 के आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था, जो टाटा ग्रुप के पक्ष में था. उस सुनवाई में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि मिस्त्री को हटाने का टाटा का फैसला सही था.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने 15 फरवरी को मामले पर विचार किया था. हालांकि, न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने असहमति जताई और आदेश में कहा कि समीक्षा याचिका खारिज किए जाने के योग्य है.
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने उन मूल्यों और नैतिकता को मान्य किया है जिन्होंने हमेशा टाटा ग्रुप का मार्गदर्शन किया है.
साइरस मिस्त्री के शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप ने तब सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अक्टूबर 2016 में एक बोर्ड बैठक में टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में उनका निष्कासन एक "ब्लड स्पोर्ट" और "घात" की तरह था और कॉर्पोरेट प्रशासन के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन और बढ़ा उल्लंघन था.
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