हमसे जुड़ें
ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID19 से सदी का सबसे बड़ा आर्थिक संकट, 90 देश मांग रहे कर्ज: IMF

दुनिया के 170 से ज्यादा देशों में प्रति व्यक्ति आय घटेगी.

Published
COVID19 से सदी का सबसे बड़ा आर्थिक संकट, 90 देश मांग रहे कर्ज: IMF
i
Hindi Female
listen
छोटा
मध्यम
बड़ा

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का मानना है कि 2020 का साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब रहने वाला है. आईएमएफ का अनुमान है कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1930 के दशक की महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी. आईएमएफ की निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने गुरुवार को कहा कि 2020 में दुनिया के 170 से ज्यादा देशों में प्रति व्यक्ति आय घटेगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जॉर्जिवा ने अगले हफ्ते होने वाली आईएमएफ और विश्वबैंक की बैठक से पहले ‘संकट से मुकाबला: वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिकताओं’ विषय पर अपने संबोधन में कहा कि आज दुनिया ऐेसे संकट से जूझ रही है जो उसने पहले कभी नहीं देखा था. कोविड-19 ने हमारी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को काफी तेजी से खराब किया है. ऐसा हमने पहले कभी नहीं देखा था.

उन्होंने कहा कि इस वायरस से लोगों की जान जा रही है और इससे मुकाबले के लिए लॉकडाउन करना पड़ा है जिससे अरबों लोग प्रभावित हुए हैं. कुछ हफ्ते पहले सब सामान्य था. बच्चे स्कूल जा रहे थे, लोग काम पर जा रहे थे, हम परिवार और दोस्तों के साथ थे. लेकिन आज यह सब करने में जोखिम है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखेंगे'

जॉर्जिवा ने कहा कि दुनिया इस संकट की अवधि को लेकर असाधारण रूप से अनिश्चित है. लेकिन यह पहले ही साफ हो चुका है कि 2020 में वैश्विक वृद्धि दर में जोरदार गिरावट आएगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि हम महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखेंगे.’’
आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि सिर्फ तीन महीने पहले हमारा अनुमान था कि हमारे 160 सदस्य देशों में 2020 में प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी. अब सब कुछ बदल गया है. अब 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटने का अनुमान है.

महामंदी को दुनिया की अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दौर के रूप में जाना जाता है. इसकी शुरुआत 1929 में अमेरिका में वॉलस्ट्रीट पर न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के ‘ढहने’ से हुई थी. महामंदी का दौर करीब दस साल चला था.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'दुनिया की अर्थव्यवस्था पर चोट'

आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए जरूरी पाबंदियां लगाई गई हैं, जिससे दुनिया की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंच रही है. जॉर्जिवा ने कहा कि खासतौर से खुदरा, होटल, परिवहन और पर्यटन क्षेत्र इससे प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों में अधिकांश श्रमिक या तो स्वरोजगार में लगे हैं या लघु एवं मझोले उपक्रमों में काम कर रहे हैं. इस संकट से ऐसी कंपनियां और श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.
आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि अफ्रीका, लातिनी अमेरिका और एशिया के एक बड़े हिस्से के उभरते बाजार और कम आय वाले देशों में जोखिम काफी अधिक है. सबसे पहले उनकी स्वास्थ्य प्रणाली काफी कमजोर है. इसके अलावा उन्हें घनी आबादी वाले शहरों और मलिन बस्तियों में इस चुनौती से जूझना है जहां शारिक रूप से सुरक्षित दूरी बना कर रहने का विकल्प ही नहीं है.

आईएमएफ के पास कर्ज देने की क्षमता में 1 ट्रिलियन डॉलर है. इस आपातकालीन समय में 90 देश आईएमएफ से एमरजेंसी फंडिंग के तहत कर्ज की मांग कर रहे हैं. जॉर्जिवा ने कहा कि संसाधनों की कमी की वजह से सबसे पहले उन्हें मांग-आपूर्ति के झटकों से जूझना होगा. इसके अलावा उनकी वित्तीय स्थिति प्रभावित होगा. इसके अलावा उनपर कर्ज का बोझ बढ़ेगा.

'विकासशील देशों को हजारों अरब डॉलर के बाहरी फंडिंग की जरूरत होगी'

उन्होंने कहा कि पिछले दो महीने के दौरान उभरते बाजारों से पोर्टफोलियो निकासी करीब 100 अरब डॉलर रही है. जिंस एक्सपोर्टर्स को दोहरा झटका लग रहा है. जिंस के दाम नीचे आ चुके हैं, वो हासिल नहीं हो रहे. कई देशों में गरीबों का जीवन इससे प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि आईएमएफ का अनुमान है कि उभरते बाजारों और विकासशील देशों को हजारों अरब डॉलर के बाहरी फंडिंग की जरूरत होगी. इसका कुछ हिस्सा ही वे खुद से जुटा पाएंगे.

जॉर्जिवा ने कहा कि इन सबके बीच एक अच्छी खबर यह है कि सभी सरकारें कदम उठा रही हैं. सभी के बीच बेहतरीन तालमेल देखने को मिल रहा है.

(इनपुट : PTI)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
और खबरें
×
×