आरबीआई ने महंगाई दर में बढ़ोतरी की आशंकाओं के मद्देनजर ब्याज दरों में कटौती नहीं की है. इस बार की क्रेडिट पॉलिसी में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें तो नहीं बढ़ाई लेकिन आगे महंगाई में इजाफा होता रहा तो ब्याज दरें बढ़ सकती हैं. इससे उद्योग और आम उपभोक्ता दोनों के लिए लोन महंगा हो सकता है.
आरबीआई ने महंगाई बढ़ने की आशंका जताते हुए लगातार तीसरी बार पिछले रेपो रेट को बरकरार रखा है. रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इससे पहले पिछले साल अगस्त में रेपो दर को 0.25 फीसदी घटा कर 6 फीसदी कर दिया था.
महंगाई में इजाफे की आशंका से ब्याज दरों में कटौती नहीं
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने प्रमुख पॉलिसी दरों में कोई बदलाव न करने का फैसला किया. लिहाजा रेपो रेट 6 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. रिवर्स रेपो रेट 5.75%, मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट 6.25 और बैंक रेट 6.25 फीसदी की मौजूदा दर पर बरकरार है.
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने महंगाई दर का अनुमान बढ़ा दिया है. उसका कहना है कि महंगाई दर दर को नियंत्रित रखना उसकी प्राथमिकता है. कमेटी ने महंगाई बढ़ने के कई खतरे गिनाए हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि नए वित्त वर्ष में ब्याज दर बढ़ सकती है. कमेटी के छह सदस्यों में से पांच ने नीतिगत दरों में किसी बदलाव की मंजूरी नहीं दी लेकिन एक सदस्य ने तो कहा कि नीतिगत दरों में चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर देनी चाहिए
इन वजहों से बढ़ सकती है महंगाई
कमेटी ने महंगाई बढ़ने की कुछ वजहें बताई हैं. उसने कहा है कि वह हालात पर कड़ी निगाह रखे हुए है.
- खरीफ फसलों का ज्यादा समर्थन मूल्य देने का ऐलान
- ग्लोबल अर्थव्यवस्था में सुधार की वजह से कमोडिटी के दाम में बढ़ोतरी
- सरकार ने कई आइटमों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई है.इससे महंगाई बढ़ सकती है
- सरकार राजकोषीय घाटे को अपने पुराने लक्ष्य तक सीमित नहीं रख पाई है
- दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत दिए हैं
मॉनेटरी कमेटी के मुताबिक 2017-18 की आखिरी तिमाही के खत्म होने पर महंगाई की औसत दर 5.1 फीसदी रही है. कमेटी का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में महंगाई दर 5.1 फीसदी से 5.6 फीसदी के बराबर रह सकती है. कमेटी ने कहा कि महंगाई दर का उसका लक्ष्य 4 फीसदी है. इसलिए वह महंगाई दर पर नजर बनाए हुए है. यही वजह है कि मॉनेटरी पॉलिसी में ब्याज दरें घटाने का ऐलान नहीं किया गया. उल्टे अब ब्याज दरों के बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है. इससे आने वाले दिनों में आम उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों के लिए कर्ज महंगा हो सकता है.
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