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US Fed Hike: महंगाई से लाचार अमेरिका में सबसे बड़ा ब्याज इजाफा,भारत पर क्या असर?

US फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है. ब्‍याज दरें बढ़कर 1.75 फीसदी हो गई हैं.

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अमेरिकी सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने ब्याज दरों में 28 साल की सबसे बड़ी बढ़ोतरी की है. महंगाई (Inflation) कंट्रोल करने के लिए फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट या 0.75 फीसदी तक का इजाफा किया है. अमेरिका में अब ब्‍याज दरें बढ़कर 1.75 फीसदी हो गई हैं. अमेरिका में अभी खुदरा महंगाई (US Retail Inflation) की दर 8.6 फीसदी है, जो करीब 40 साल में सबसे ज्यादा है.

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अमेरिका में मंदी की आशंका

1994 के बाद से फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में सबसे बड़ी वृद्धि और कमजोर उपभोक्ता खर्च के संकेतों के बाद विश्लेषकों ने अमेरिका में मंदी की आशंका जताई है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक Wells Fargo & Co. ने साल 2023 में 'हल्की मंदी' का अनुमान लगाया है. क्योंकि मुद्रास्फीति बढ़ रही है और उपभोक्ताओं के खर्च करने की शक्ति कम हो रही है.

ब्याज दरें क्यों बढ़ा रहा अमेरिकी बैंक?

अमेरिका में महंगाई दर 40 सालों के उच्चतम स्तर पर है. मई में अमेरिका में महंगाई दर 8.6 फीसदी दर्ज हुई थी. महंगाई पर रोक लगाने के लिए ही फेड रिजर्व ने प्रमुख ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया है.

ब्याज दर बढ़ने से लोन महंगे हो जाते हैं. इससे लोगों की स्पेंडिंग कम हो जाती है. ऐसे में मांग घटती है और वस्तुओं की कीमतें गिरनी शुरू हो जाती हैं. दूसरी तरफ महंगाई को रोकने के लिए यूएस फेड ब्याज दर बढ़ाता है, तो डॉलर मजबूत होता है.

यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के इस फैसला का भारत समेत दुनिया की लगभग सारी अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ना तय है. चलिए समझते हैं कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से क्या-क्या असर पड़ेगा.

RBI पर बढ़ेगा दबाव

अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर भारत समेत दुनियाभर पर पड़ता है. कई देश अपने यहां भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने लगते हैं. भारत में RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) को बढ़ाना तब शुरू किया, जब अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की पूरी-पूरी उम्मीद थी. दरअसल, होता यह है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के साथ-साथ ही अमेरिका और भारत सरकार के बांड के बीच का अंतर कम होता जाता है. इस अंतर के चलते वैश्विक निवेशक इंडियन सिक्युरिटीज से पैसा निकालने लगते हैं.

भारत में अभी खुदरा महंगाई की दर 7.04 फीसदी है और रिजर्व बैंक इसे 6 फीसदी से नीचे लाना चाहता है. इसके लिए दो बार में रेपो रेट को 0.90 फीसदी बढ़ाकर 4.90 फीसदी किया जा चुका है. फेडरल के ताजा हाइक के बाद रिजर्व बैंक के ऊपर भी बड़ी बढ़ोतरी का दबाव रहेगा.

रुपये में गिरावट आ सकती है?

अमेरिका के इस फैसले का असर भारतीय करेंसी (Indian Currency) पर भी पड़ेगा. माना जा रहा है कि ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी डॉलर को मजबूत करेगी. लेकिन इससे रुपया और ज्यादा गिर सकता है. गौरतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपया पहले ही अपने सबसे निचले स्तर पर है.

जनवरी में डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 74.25 यूनिट था, जो बुधवार, 15 जून को 78.17 यूनिट तक गिर गया.

रुपये में गिरावट होने से भारतीय बाजार पर व्यापाक असर पड़ेगा. अगर रुपया गिरता रहता है तो आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं. क्रूड के महंगा होने से सीधे तौर पर महंगाई बढ़ सकती है.

बढ़ेगा इंपोर्ट बिल

रुपया कमजोर होने की स्थिति में भारत जहां भी डॉलर के मुकाबले पेमेंट करता है, वह महंगा हो जाएगा. सीधे तौर पर समझें तो भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाएगा. इसका सीधा असर भी उपभोक्ताओं पर पड़ता है.

हालांकि, RBI इस अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करके विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार पहले ही 640 अरब डॉलर से घटकर 600 अरब डॉलर हो गया है. भारत कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सोने का एक बड़ा इम्पोर्टर है. बढ़ते आयात की वजह से पहले से ही चालू खाता घाटा (CDA) बढ़ रहा है.

भारत में निवेश पर भी पड़ेगा असर

अमेरिका में तेजी से ब्याज दर बढ़ने से भारत में निवेश पर भी असर होगा. अमेरिका जितनी तेजी से ब्याज दरें बढ़ाएगा, भारत और वहां की दरों में गैप कम होता जाएगा. ऐसा होने पर पहला असर ये होता है कि विदेशी निवेशक (FPI) उभरते बाजारों से तेजी से बाहर निकलने लगते हैं. भारतीय बाजार पहले से ही FPI की भारी बिकवाली का सामना कर रहा है.

पिछले कुछ महीनों की बिकवाली में FPI भारतीय बाजार से 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी कर चुके हैं. आने वाले समय में इसमें और तेजी देखने को मिल सकती है.

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