कोरोना कहां कहां कयामत लाएगा, इसका अंदाजा तो लगाया जा रहा था, लेकिन दुनिया को इसका पूरा आइडिया नहीं था. अमेरिका के क्रूड फ्यूचर मार्केट में मई महीने के कॉन्ट्रैक्ट का प्राइज 20 अप्रैल को जीरो से भी नीचे चला गया. यानी प्रोड्यूसर खरीदारों को डिलीवरी के लिए भुगतान कर रहे थे.
ऑयल मार्केट की ऐसी हालत पहले कभी नहीं देखी गई. इसकी चोट कहां पड़ेगी, लोग इस बात को समझने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में दुनियाभर के ऑयल मार्केट में क्या हुआ है. इसे समझा रहे हैं एनर्जी एक्सपर्ट और गेटवे हाउस में फेलो अमित भंडारी.
भंडारी ने बताया,
दुनिया का हर रोज का ऑयल प्रोडक्शन करीब 10 करोड़ बैरल है. कोरोना महामारी की वजह से इसमें से 30 फीसदी डिमांड खत्म हो गई है. ऐसे में जो 3 करोड़ बैरल रोज के निकल रहे हैं, उनको रखने की जगह खत्म होती जा रही है.अमित भंडारी, फेलो, गेटवे हाउस
इसके अलावा उन्होंने बताया, अमेरिका जैसे बाजार में कोई कंपनी तेल फेंक भी नहीं सकती, क्योंकि वो वहां अपराध माना जाएगा, इसलिए ये हालत हो गई है कि सेलर्स को तेल डिलीवर करने के लिए भुगतान करना पड़ रहा है.
आगे क्या होगी स्थिति?
इस सवाल के जवाब में भंडारी ने कहा, ''अगले एक महीने में ये हालत नहीं रहेगी. अमेरिका में तेल उत्पादन की एक अच्छी बात ये है कि इसमें से ज्यादातर उत्पादन शेल ऑयल का होता है. शेल ऑयल के कुओं का कुछ ही हफ्तों का जीवनकाल होता है. अगर मैं शेल ऑयल कंपनी हूं तो मुझे कुछ-कुछ हफ्तों में नए कुएं ड्रिल करते रहने पड़ेंगे. तो अगर दाम इतना कम है तो नई ड्रिलिंग कम हो जाएगी.''
भारत को कच्चे तेल के दाम में इस गिरावट से कितना फायदा होगा? इस बारे में भंडारी ने कहा कि भारत की खरीदारी ब्रेंट से ज्यादा होती है तो ये जो नेगेटिव दाम अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) में गए हैं, जिससे हमें ज्यादा फायदा नहीं हो पाएगा.
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