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जकरबर्ग को एक फेसबुक पोस्ट के लिए 300 करोड़ डॉलर कीमत चुकानी पड़ी

फेसबुक की एक पोस्ट जिसने कंपनी को अरबों डॉलर किए स्वाहा

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फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग इतना जोखिम क्यों उठा रहे हैं? वो फेसबुक को बदलना क्यों चाहते हैं? पूरी दुनिया के 2 अरब फेसबुक यूजर्स ये जानना चाहते हैं.

जकरबर्ग ने फेसबुक में एक ऐसा पोस्ट किया जिसके लिए उन्हें करीब 3 अरब डॉलर कीमत चुकानी पड़ी. उस पोस्ट में ऐसा क्या था....

जकरबर्ग ने फेसबुक पोस्ट के जरिए ऐलान किया कि फेसबुक इस साल धीरे धीरे पूरा बदल जाएगा. अब फेसबुक फीड में दोस्तों और परिवार की ज्यादा पोस्ट दिखेंगी, जबकि पब्लिशर और कंपनियों की कम. यानी कमर्शियल पोस्ट की पहुंच कम होती जाएगी.

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एक पोस्ट और अरबों डॉलर साफ

  • फेसबुक का मार्केट कैप - 521 अरब डॉलर (15 जनवरी 2018)
  • फेसबुक में जकरबर्ग की हिस्सेदारी- 25%
  • जकरबर्ग की हिस्सेदारी की वैल्यू- करीब 75 अरब डॉलर (जनवरी 2018)
  • दुनिया भर में फेसबुक के कुल यूजर्स - 2 अरब

फेसबुक बदलना चाहती है लेकिन सीईओ के पोस्ट के बाद उसके शेयर में करीब पांच परसेंट से ज्यादा की गिरावट बताती है कि जकरबर्ग की इस कोशिश में कितना जोखिम है.

फेसबुक बदलने से क्या होगा असर

मीडिया कंपनियों को भी इस बात की बैचेनी है कि फेसबुक आखिर क्या करने जा रहा है? वो अभी एनालिसिस करने में जुटे हैं कि इसका पूरे मीडिया में क्या असर पड़ेगा. विज्ञापन देने वालों को इस बात की फिक्र है कि कहीं इससे फेसबुक में विज्ञापन देना महंगा तो नहीं हो जाएगा.

फेसबुक में छोटी बड़ी सभी तरह की कंपनियां विज्ञापन देती हैं और दोस्तों और परिवार के पोस्ट के बीच में उनके विज्ञापन वाले पोस्ट भी होते हैं. जकरबर्ग ने साल से शुरू में ही ऐलान किया था कि 2018 के लिए उनका न्यू ईयर रिजॉल्यूशन है कि वो फेसबुक को बदलना चाहते हैं.

जानकारों के मुताबिक दुनिया के सभी अखबार, मैगजीन और रेडियो स्टेशन मिलकर विज्ञापन से जितना पैसा कमा रहे हैं गूगल और फेसबुक विज्ञापन से उससे ज्यादा कमाई कर रहे हैं.

जकरबर्ग के मन में क्या है?

तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि जकरबर्ग अपनी विज्ञापन की कमाई को कम क्यों करना चाहते हैं?

पिछले साल फेसबुक ने विज्ञापन की फीड के जरिए करीब 28 करोड़ डॉलर की कमाई की थी. इसलिए फेसबुक का छोटा का कदम पूरी डिजिटल दुनिया में हलचल मचा देता है.

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फेसबुक को बदलने की जरूरत क्यों पड़ी

फेसबुक को कुछ दिनों में फेक न्यूज के विवादों से जूझना पड़ा है. 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान आरोप लगे थे कि फेसबुक फेक न्यूज परोसने के लिए रूसी हैकर्स का जरिया बना.

जानकारों के मुताबिक नई स्ट्रैटेजी का मकसद ये है कि फेसबुक दोबारा युवाओं, स्टूडेंट के बीच लोकप्रियता बढ़ाना चाहता है. लेकिन ये बात किसी को नहीं पच रही है कि जकरबर्ग अपनी बनी बनाई कमाई को कम करके क्या नया एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि जकरबर्ग कोई बड़े प्रोजेक्ट की तैयारी कर रहे हैं?

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