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अप्रैल-अगस्त के बीच भारत का चीन से इंपोर्ट सालाना तौर पर 28% गिरा

गस्त में चीन से भारत इंपोर्ट 4.98 बिलियन डॉलर रहा वहीं जुलाई में ये 5.58 बिलियन डॉलर रहा

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अप्रैल से अगस्त महीने के बीच भारत का चीन से इंपोर्ट सालाना तौर पर करीब 27.63 फीसदी गिर गया है और ये अब घटकर 21.58 बिलियन डॉलर हो गया है. अगस्त महीने में चीन से भारत इंपोर्ट 4.98 बिलियन डॉलर रहा वहीं जुलाई में ये 5.58 बिलियन डॉलर रहा. ये डाटा कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में सवाल के जवाब में दिया है.

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कोरोना संकट और सीमा विवाद बड़ी वजहें

भारत में पिछले करीब 2 दशकों से चीन का इंपोर्ट लगातार बढ़ रहा था और व्यापार घाटे में भी सबसे ज्यादा चीन का ही हिस्सा हुआ करता था लेकिन कोरोना वायरस की मार की वजह से इंटरनेशनल व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ा इससे दूसरे देशों के साथ ट्रेड कमजोर हुआ है. दूसरी एक बड़ी वजह ये भी है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है इससे कई सारी चीनी कंपनियों को भारत में कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिए जा रहे हैं और देश के लोगों ने चीनी उत्पादों का भी बहिष्कार जोरों से शुरु किया है.

कुल व्यापार घाटे में चीन का योगदान 40% रहा है

2018 के कॉमर्स मंत्रालय से जुड़े स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक जहां 2013-14 में चीन से आने वाला इंपोर्ट सालाना 9 परसेंट की रफ्तार से बढ़ा, 2017-18 में बढ़ोतरी की दर 20 परसेंट रही. चीन के साथ जो हमारा व्यापार घाटा है वो हमारे कुल व्यापार घाटे का 40 परसेंट है.

यूपीए 2 के समय में यानी 2009 से 2013 के बीच, चीन से आने वाला इंपोर्ट 68 परसेंट बढ़ा और एक्सपोर्ट 58 परसेंट बढ़ा. 2014 में सरकार बदली. उसके बाद से चीन को होने वाला एक्सपोर्ट काफी ऊपर-नीचे हो रहा है. लेकिन वैल्यू टर्म में 2018-19 में होने वाला एक्सपोर्ट 2013 के बराबर ही था. मतलब 5 साल में वहीं के वहीं.

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साफ है पिछले कोरोना वायरस संकट और सीमा विवाद के पहले तक चीनी कंपनियों की मौजूदगी तेजी से बढ़ी है. शाओमी, वन प्लस, और लेनोवो जैसी चीनी कंपनियों ने भारत के बाजार में अपनी भागीदारी काफी बढ़ा ली है. कैपिटल गुड्स, टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्टर, दवा बनाने के लिए जरूरी एपीआई- इन सारे मामलों में हमारी चीन पर निर्भरता लगातार बढ़ी ही है. और हाल के सालों में हमारी जिन कंपनियों ने अपनी पहचान बनाई है उनमें से कई ऐसी हैं जिनमें अलीबाबा और टेनसेंट जैसी चीनी कंपनियों की खासी हिस्सेदारी है. ऐसी कुछ कंपनियां है ओला, स्विगी, जोमेटो, स्नैपडील, और पेटीएम.

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