केंद्र सरकार ने बुधवार को चुनाव से पहले पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के ज्यादातर वर्षों के जीडीपी के आंकड़े घटा दिए. जिससे यूपीए सरकार के दौरान जीडीपी के आंकड़ों में 1 से 2 फीसदी तक की कमी आ गई. इसे लेकर विपक्ष एक बार फिर हमलावर हो चुका है. कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले की निंदा की है.
क्या है मामला
बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले 10 साल का डेटा जारी किया है. नीति आयोग के वॉइस चेयरमैन राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. सरकार ने आंकड़ों को साल 2004-05 के आधार की बजाय 2011-12 के आधार पर संशोधित किया है. जिसमें पिछली मनमोहन सिंह सरकार में जीडीपी ग्रोथ रेट 1 से 2 फीसदी कम हो गया है. बताया जा रहा है कि अब जीडीपी ग्रोथ के लिए नया फॉर्म्यूला बनाया गया है. जिससे केलकुलेशन के मुताबिक ग्रोथ रेट कम आया है.
इन आंकडों में ताजा सर्वे और सेंसस के डेटा को भी शामिल किया गया है और नई सीरीज के रिटेल और थोक महंगाई के आंकड़े भी हैं. इसमें म्यूचुअल फंड कंपनी, स्टॉक ब्रोकर, सेबी, और आईआरडीए, पीएफआरडीए को भी शामिल किया गया है. राजीव कुमार ने इस कहा, ऐसा कहना गलत होगा कि नई सीरीज के कारण जीडीपी ग्रोथ में बढ़ोतरी हुई है.
कांग्रेस हुई हमलावर
अपने कार्यकाल में जीडीपी रेट घटने से कांग्रेस आग बबूला हो चुकी है. इस बात की जानकारी मिलते ही कांग्रेस ने सरकार पर जमकर हमला बोला. मनमोहन सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने इसका जिम्मा संभाला. उन्होंने नीति आयोग के इस फैसले को एक भद्दा मजाक बताया है. चिदंबरम ने कहा, नीति आयोग का संशोधित जीडीपी आंकड़ा किसी भद्दे मजाक जैसा है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि इस बेकार संस्था को बंद कर देना चाहिए.
नीति आयोग का रिएक्शन
चिदंबरम के ट्वीट के बाद नीति आयोग ने भी इस पर रिएक्शन दिया. नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने कहा, कांग्रेस पार्टी सीएसओ की बौद्धिक और तकनीकी क्षमता को कमतर बताने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस यह बताने की कोशिश कर रही है कि जिन लोगों ने इस पूरी रिपोर्ट की समीक्षा की और इस डेटा को तैयार करने में योगदान दिया, उनका कोई भी महत्व नहीं है.
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