भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे तनाव से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर भी प्रभाव पड़ा है. 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने चीन के 59 ऐप बैन कर दिए थे. अब एक रिपोर्ट में सामने आया है कि चीन की शाओमी जैसी कंपनियों को भारत की क्वॉलिटी कंट्रोल एजेंसी की तरफ से अपने सामान को मंजूरी मिलने में देरी का सामना करना पड़ रहा है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने हाल के हफ्तों में शाओमी और ओप्पो जैसी कंपनियों के मोबाइल फोन कंपोनेंट और टेलीविजन को मंजूरी देने में देरी की है. रिपोर्ट में भारत और चीन में इंडस्ट्री के सूत्रों के हवाले से ये बात बताई गई है.
रिपोर्ट का कहना है कि BIS के डायरेक्टर जनरल प्रमोद कुमार तिवारी ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं, चीन के वाणिज्य और विदेश मंत्रालय ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी.
रॉयटर्स की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया, “दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं. पहले की तरह बिजनेस नहीं किया जा सकता.” अधिकारी का कहना था कि इसकी संभावना कम है कि भारत चीन की कंपनियों के निवेश प्रस्तावों को जल्द ही मंजूरी देगा.
मंजूरी में देरी
एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने कहा कि सरकार नई स्टैंडर्ड पॉलिसी पर काम कर रही है, जो कि अगस्त के अंत तक घोषित की जाएगी. रिपोर्ट में बताया गया कि इस पॉलिसी का लक्ष्य चीन और बाकी देशों से लो-क्वालिटी के सामान को टारगेट करना है.
एक भारतीय इंडस्ट्री के सूत्र ने रॉयटर्स से कहा, "इसकी वजह से ब्रांडेड चाइनीज कंपनियों की मंजूरी भी रुकी हुई है. क्वालिटी स्टैंडर्ड अपग्रेड किए जा रहे हैं और इसलिए प्रोडक्ट्स को क्लीयरेंस नहीं मिल रहा है."
भारत में बिकने वाले हर 10 स्मार्टफोन चीन की स्मार्टफोन कंपनियां ओप्पो और शाओमी के होते हैं. हालांकि, दोनों कंपनियां अपने अधिकतर मॉडल भारत में ही असेंबल करती हैं, लेकिन कई कंपोनेंट चीन से आयात किए जाते हैं.
चीन के एक स्मार्टफोन मेकर के एक सोर्स ने रॉयटर्स को बताया कि पहले BIS की एप्लीकेशन 15 दिन में प्रोसेस हो जाती थीं, लेकिन अब उनका 'कुछ पता नहीं है.'
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