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GST लेकर आएगा कंफ्यूजन, अफरा-तफरी और विवाद- टैक्स एक्सपर्ट्स

जीएसटी लागू करने के लिए 1 अप्रैल, 2017 का लक्ष्य आसान नहीं है.

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जीएसटी बिल को 1 अप्रैल, 2010 तक लागू करने का लक्ष्य तय हुआ था. 2006 में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी.

मेरी समझ में देश में एक आम सहमति है कि राष्ट्रीय स्तर पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) केंद्र और राज्यों के बीच साझा किया जाना चाहिए. हमें इसे ले कर आगे बढ़ना चाहिए. मेरा प्रस्ताव है कि हम 1 अप्रैल , 2010 की तारीख को जीएसटी लागू करने के लिए निर्धारित कर लें.
पी चिदंबरम

वह ‘आम सहमति’ जिसके बारे में चिदंबरम ने कहा था पिछले दस सालों से लटका पड़ा है. कितनी ही तय तारीखें बीत गई पर अब तक यह टैक्स रिफाॅर्म लागू नहीं हो पाया है. विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे लागू कराने के पीछे दो शर्तें रखी हैं.

पहली शर्त है तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे उत्पादक राज्यों में लगने वाले एक फीसदी अतिरिक्त कर को खत्म किया जाए साथ ही इसे अमली जामा पहनाया जाए. पांच साल के लिए राज्य सरकार के राजस्व की कमी की पूर्ति केंद्र सरकार करे.

कांग्रेस की दूसरी मांग है बिल में टैक्स की ऊपरी सीमा 18 फीसदी की जाए ताकि सरकार मनमाने तरीके से कर में इजाफा न कर सके. साथ ही जीएसटी दर का जिक्र संविधान संशोधन विधेयक में शामिल किया जाना चाहिए जिसपर समझौते की कवायद की जा रही है.

लेकिन अगर यह समझौता हो भी जाए और संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा के माध्यम से संसद के इस सत्र में अगर जीएसटी पास भी हो जाए तो भी कई टैक्स विशेषज्ञ का मानना है कि 1 अप्रैल , 2017 तक जीएसटी को लागू करने का लक्ष्य मुश्किल है.

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संविधान संशोधन विधेयक अप्रैल 2016 में इसे लागू करना मुश्किल था क्योंकि भारत और इसके व्यापार सिस्टम को जीएसटी के लिए तैयार करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.

कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में समर्थन चाहिए था जहां बीजेपी को बहुमत प्राप्त है और फिर उसे राज्यसभा में दो -तिहाई बहुमत की जरुरत पड़ी. लेकिन वहां बीजेपी को बहुमत मिलने की संभावना नहीं दिखी.

जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक

इस विधेयक को किसी भी दूसरे संवैधानिक संशोधन विधेयक की तरह, राज्य विधानसभाओं के कम से कम आधे (साधारण बहुमत) और अंतिम चरण में राष्ट्रपति के द्वारा स्वीकृति मिलने का इंतजार है.

इनडाइरेक्ट टैक्स लीडर, हरिशंकर सुब्रमण्यम का अनुमान है कि इस विधेयक को राज्यसभा और राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बीच दो महीने का समय लग सकता है

GST काउंसिल

एक बार जब संविधान संशोधन में जीएसटी शामिल कर लिया गया तो उसके 30 दिनों के भीतर जीएसटी काउंसिल का गठन किया जाना जरुरी होगा. जीएसटी काउंसिल के मेंबर्स केंद्रीय वित्त मंत्री और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों या राजस्व मंत्री होंगे. जीएसटी काउंसिल दरों में छूट की सीमारेखा तय करेगा और जीएसटी डिजाइन को अंतिम रूप देगा.

GST मॉडल लॅा

इस बीच, जीएसटी मॉडल लॅा को जून 2016 में सार्वजनिक परामर्श के लिए खोला गया था, उसे भी अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. इसे लेकर केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति की जरुरत है. सभी हितधारकों से राय विचार करने के बाद और लॅा को जीएसटी काउंसिल से एक सैद्धांतिक मंजूरी की आवश्यकता होगी.

लॅा फर्म इकोनॅामिक लॉ प्रैक्टिस में मैनेजिंग पार्टनर रोहन शाह बताते हैं कि “केंद्रीय जीएसटी कानून, एकीकृत जीएसटी ( IGST) कानून सहित को तैयार करने का आधार मॉडल लॅा होगा और उसके बाद संसद इसे कानून के रुप में पारित करेगा.”

चूंकि मॉडल लॅा पर विचार-विमर्श चल रहा है, फिर भी जल्द से जल्द जीएसटी कानून संसद के शीतकालीन सत्र में, या उससे पहले एक विशेष सत्र बुलाकर पारित किए जाने की संभावना है. सुब्रमण्यम कहते हैं, “ मेरे विचार में जीएसटी कानून मनी बिल की तरह हो जाएगा और जिसे संसद में पारित होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.”

राज्यों को मॉडल लॅा के आधार पर अपने स्वयं के जीएसटी कानून बनाने की आवश्यकता होगी.

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GST आईटी नेटवर्क

विधायी कामों के साथ-साथ जीएसटीएन (GSTN) के रूप में जीएसटी आईटी नेटवर्क पर भी काम करना होगा. GSTN एक गैर लाभकारी संस्था है जो 2013 में बनाया गया था. GSTN का मुख्य उद्देश्य सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में कर दाताओं के लिए कॅामन रजिस्ट्रेशन, रिटर्न और भुगतान सेवाएं प्रदान करना है. इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए और आसानी से चलाने के लिए जीएसटीएन का पांच साल के लिए इंफोसिस के साथ 1380 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट है.

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