क्रूड का भावअभी 60 डॉलर के नीचे है तो दिल्ली में पेट्रोल का दाम 69 रुपए लीटर है. इसके पहले जनवरी 2018 में जब क्रूड 63 डॉलर पर था तब पेट्रोल 57 रुपए लीटर के भाव पर बिक रहा था.
अभी क्रूड का भाव जनवरी -18 के मुकाबले 3 डॉलर कम है फिर भी पेट्रोल के दाम 17 रुपए लीटर ज्यादा हैं.
अगर रुपए की कमजोरी को भी फैक्टर कर लें तो भी पेट्रोल 60 रुपए लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए. लेकिन इसके बाद भी खबर है कि सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर करीब 2 रुपए लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का इरादा बना लिया है. मतलब क्रूड अगर और सस्ता हुआ तो भी लोगों को पेट्रोल या डीजल ज्यादा सस्ता नहीं मिलेगा.
लेकिन सरकार ही नहीं पेट्रोलियम कंपनियां भी पेट्रोल पर इस वक्त 6 रुपए लीटर मुनाफा कमा रही हैं. डीजल पर 5 रुपए लीटर के आसपास कंपनियों का मुनाफा है. मतलब ऑयल कंपनियों ने इतना मुनाफा नहीं कमाया होता तो भी पेट्रोल कम से कम 5 रुपए सस्ता होता. मगर ऑयल कंपनियों की वजह से ये हो ना सका.
क्रूड 35% सस्ता लेकिन पेट्रोल सिर्फ 10%
दिल्ली में अभी पेट्रोल 75 और मुंबई में 80 रुपए लीटर के आसपास है. लेकिन क्रूड तो 60 डॉलर से नीचे चला गया है.
15 अक्टूबर को हर लीटर पेट्रोल पर ऑयल कंपनियों को करीब 75 पैसे प्रति लीटर का फायदा हो रहा था लेकिन नवंबर में ये बढ़कर 6 रुपए लीटर हो गया. इसी तरह डीजल पर जो मार्जिन अक्टूबर में 1.4 रुपए लीटर था वो बढ़कर 4.64 रुपए हो गया.
कैसे तय होता है पेट्रोल-डीजल का भाव
पेट्रोल-डीजल आपको किस भाव पर मिले ये दो बातों पर निर्भर करता है.
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के भाव
- डॉलर के मुकाबले रुपए का भाव
- रिटेल में पेट्रोल और डीजल का भाव तय करने के लिए 15 दिनों के क्रूड का औसत निकाला जाता है. साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपए के भाव को भी इसमें कैलकुलेट किया जाता है.
- रुपया अक्टूबर में डॉलर के मुकाबले 74 के आसपास था जबकि अब 71 के नीचे है. रुपए के मजबूत होने से क्रूड का इंपोर्ट सस्ता होता है.
पेट्रोल 27% और डीजल 18% सस्ता होना चाहिए था
वैसे तो ऑयल कंपनियां हमारे लिए हर दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं. लेकिन अगर उनके फॉर्मूले को ही ध्यान में रखें तब भी डीजल के दाम कम से कम 6 रुपए और कम होने चाहिए थे. मतलब दिल्ली में डीजल 63 रुपए लीटर और पेट्रोल 70 रुपए लीटर से नीचे होने चाहिए. पर डीजल सिर्फ 8 और पेट्रोल सिर्फ10 परसेंट ही कम हुआ.
ब्लूमबर्गक्विंट एनालिसिस के मुताबिक इस वक्त हर लीटर पेट्रोल और डीजल पर पेट्रोलियम कंपनियों की कमाई सबसे ज्यादा है. कंपनियों के फॉर्मूले के हिसाब से डीजल 18 परसेंट और पेट्रोल 27 परसेंट सस्ता होना चाहिए था. लेकिन दाम सिर्फ 10 परसेंट ही कम हुए हैं.
दिल्ली में चार अक्टूबर को पेट्रोल 84 रुपए और डीजल 75.45 रुपए लीटर बिक रहा था उस वक्त क्रूड 80 डॉलर बैरल के आसपास था. अब क्रूड 59 डॉलर पर है तो पेट्रोल 74 रुपए और डीजल 70 रुपए लीटर.
कस्टमर को मामूली राहत, असली कमाई कंपनियों के हिस्से आई
इसका साफ मतलब है कि क्रूड सस्ता होने से असली फायदा ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को ही मिला है. उनका मार्जिन कई गुना बढ़ गया है. ब्लूमबर्गक्विंट एनालिसिस के मुताबिक नवंबर में हर लीटर पेट्रोल और डीजल बेचने पर कम से कम 5 गुना मार्जिन मिल रहा है.
अक्टूबर में जब पेट्रोल-डीजल के दाम शिखर पर पहुंचे तो सरकार ने एक्साइज ड्यूटी कम करके पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाया था लेकिन तेल कंपनियों को भी 1 रुपए लीटर का बोझ सहन करने को कहा था.
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयरों में उछाल
ऑयल कंपनियों के मार्जिन में बढ़ोतरी की वजह से उनके शेयरों में डेढ़ माह में 40 परसेंट तक का उछाल आया है.
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम- शेयर का भाव 178 रुपए (8 अक्टूबर 2018) से बढ़कर 246 रुपए (27 नवंबर) हो गया
- भारत पेट्रोलियम- शेयर का भाव 265 रुपए (8 अक्टूबर) से बढ़कर 334 रुपए (27 नवंबर) हो गया
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल (क्रूड) के खेल से साफ संकेत मिल रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में कच्चे तेल के भाव और गिर सकते हैं. लेकिन इसके बावजूद उसी अनुपात में पेट्रोल-डीजल सस्ता होने के आसार बहुत कम है.
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