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बैंक डूबा तो 3 महीने में 5 लाख तक का भुगतान- जरूरी सवालों के जवाब

पहले अकाउंट होल्डर्स को अपनी जमा बिमा राशि के लिए 8-10 वर्षों का इंतजार करना पड़ता था- Nirmala Sitharaman

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केंद्रीय मंत्रिमंडल (Cabinet) ने 28 जुलाई को बैंक जमा बीमा कानूनों में बदलाव को मंजूरी दे दी. अब किसी संकट के कारण RBI द्वारा बैंकों के लेनदेन पर पाबंदी लगाने जाने की स्थिति में जमाकर्ताओं को 90 दिन के भीतर 5 लाख तक की जमा बिमा राशि मिल सकेगी.

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इससे पहले अकाउंट होल्डर्स को अपनी जमा बिमा राशि प्राप्त करने के लिए संकटग्रस्त बैंक के पुनर्गठन तक वर्षों का इंतजार करना पड़ता था. केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2021/ जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 लाने जा रही है.

केंद्रीय कैबिनेट ने क्या निर्णय लिया है और इससे जमाकर्ताओं पर क्या असर पड़ेगा ?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जहां पहले जमाकर्ता आमतौर पर संकटग्रस्त बैंक के पुनर्गठन तक 8-10 साल इंतजार करते थे, वहीं अब उन्हें 90 दिनों के भीतर 5 लाख तक की बीमा राशि (मूल राशि+ ब्याज) मिल जाएगी.

संकटग्रस्त पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक के जमाकर्ताओं को राहत देने के लिए यह राशि पिछले साल ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दी गई थी.

साथ ही मंत्रिमंडल ने बैंकों द्वारा DICGC को भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम - जमा बीमा प्रीमियम को कम से कम 20% और अधिकतम 50% तक बढ़ाने की अनुमति दी है.

इस फैसले से कितने जमाकर्ताओं को फायदा मिल सकता है ?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार जमा बीमा कवर को ₹1 लाख से बढ़ा कर ₹5 लाख करने से, संख्या के हिसाब से कुल बैंक अकाउंट में से 93.3% अकाउंट कवर हो जाएंगे और वैल्यू के हिसाब से 50.9% बैंक अकाउंट कवर हो जाएंगे.

90 दिनों में अकाउंट होल्डर्स को जमा पर बीमा कैसे मिलेगा?

कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार बैंकों को आरबीआई द्वारा संकट ग्रस्त घोषित किए जाने के पहले 45 दिनों के भीतर DICGC जमा खातों से संबंधित सभी जानकारी एकत्र करेगा और अगले 45 दिनों में इस जानकारी की समीक्षा करेगा तथा जमाकर्ताओं को अधिकतम 90 दिनों के भीतर 5 लाख तक की राशि देगा.

DICGC क्या है?

सार्वजनिक और निजी बैंक ,स्थानीय क्षेत्र के बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक ,क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, कोऑपरेटिव बैंक, विदेशी बैंकों के भारतीय इंडियन ब्रांच और पेमेंट बैंक के अकाउंट में जमा राशि का बीमा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा किया जाता है.DICGC आरबीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है.

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अगर आपके अकाउंट में ₹5 लाख से अधिक की राशि हो तो ?

वर्तमान में भारत में किसी भी बैंक के बंद होने की स्थिति में एक जमाकर्ता के पास बीमा कवर के रूप में प्रति अकाउंट अधिकतम ₹5 लाख का दावा है, भले ही उसके अकाउंट में जमा राशि ₹5 लाख से अधिक हो.

यानी आपके अकाउंट में चाहे 20 लाख रूपए भी हों तो बैंक के डूबने की स्थिति में आपको अधिकतम ₹5 लाख रूपए ही मिल सकते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय ये बाद आपको यह राशि 90 दिनों के अंदर मिल जाएगी. लेकिन अधिकतम दावा ₹5 लाख का ही किया जा सकता है.

क्या DICGC किसी अकाउंट के सिर्फ मूलधन पर बीमा देता है या मूलधन और ब्याज दोनों पर ?

RBI के अनुसार DICGC अधिकतम ₹5 लाख तक मूलधन और ब्याज का बीमा करता है.उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति के अकाउंट में 4,95,000 की मूल राशि और उसपर 4,000 अर्जित ब्याज है, तो DICGC द्वारा बीमा की गई कुल राशि 4,99,000 होगी.लेकिन यदि उस अकाउंट में मूल राशि ही पांच लाख थी, तो अर्जित ब्याज का बीमा नहीं किया जाएगा।

ऐसा इसलिए नहीं कि यह ब्याज था, बल्कि इसलिए कि वह राशि बीमा सीमा(₹5 लाख) से अधिक थी.

बैंक बीमा के लिए DICGC को कितना प्रीमियम पे करते हैं ?

वर्तमान में भारत के बैंक DICGC को प्रति ₹100 कम से कम 10 पैसे का प्रीमियम अदा करते थे, जिसे अब बढ़ाकर कम से कम 12 पैसे किया जा रहा है. वित्त मंत्री सीतारमण के अनुसार बैंक अधिकतम 15 पैसे तक ही प्रीमियम के तौर पर अदा कर सकता है.

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