जीएसटी के नए नियम घर खरीदारों के लिए राहत साबित हो रहे हैं. जबकि बिल्डरों के लिए फायदा उठाने का मौका खत्म कर दिया गया है. नए मैकेनिज्म में जीएसटी काउंसिल ने रियल एस्टेट कंपनियों की ओर से बनाए जा रहे फ्लैट पर जीएसटी 12 फीसदी से पांच फीसदी कर दिया है. सस्ते मकानों के मामले में यह आठ फीसदी से घट कर एक फीसदी हो गया है. नए नियम के मुताबिक अब बिल्डर को यह फायदा ग्राहकों को देना होगा.
इसी तरह अगर किसी घर खरीदार ने पिछले फाइनेंशियल इयर में बुक कराया गया फ्लैट कैंसल कराया तो बिल्डर को उस पर लिया गया जीएसटी रिफंड करना होगा. बिल्डर को ऐसे रिफंड के बदले में क्रेडिट एडजस्टमेंट की सुविधा मिलेगी.
बिल्डरों को अपनानी होगी नई व्यवस्था
नए नियमों के मुताबिक फ्लैट पर लगने वाले 12 फीसदी जीएसटी अब 5 फीसदी हो गया है. सरकार ने स्पष्ट किया है अगर आपका मकान बन रहा है तो अब से बाकी के हिस्से पर आपको जीएसटी पांच या एक फीसदी (अफोर्डेबल मकानों के मामले में) देना होगा. लेकिन यह फायदा ग्राहक को तभी मिलेगा जब वह 31 मार्च तक फ्लैट की कीमत का 40 फीसदी दे चुका हो. और इसके साथ ही बिल्डर भी नई व्यवस्था को अपनाने को तैयार हो.
पहले की व्यवस्था में बिल्डर घटी हुई जीएसटी की दर और इनपुट पर टैक्स क्रेडिट का फायदा दोनों उठा रहे थे. जबकि ग्राहकों से 12 फीसदी जीएसटी ही वसूला जा रहा था. ग्राहक अब बिल्डरों को घटी दरों से होने वाले फायदे का लाभ ले सकते हैं.
सरकार ने बिल्डरों को जीएसटी की नई व्यवस्था के तहत आने को कहा है.अगर वे शुक्रवार तक इस व्यवस्था के तहत नहीं आते हैं तो उन्होंने सीधे पांच फीसदी वाले टैक्स रिजीम में डाल दिया जाएगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा.
नियमों के मुताबिक अगर किसी ग्राहक ने वित्त वर्ष 2018-19 में अपना फ्लैट बुक कराया और उसे कैंसल कराना चाहता है तो बिल्डर को इस पर लगे जीएसटी का रिफंड करना होगा. हालांकि बिल्डर को ऐसे रिफंड के बदले क्रेडिट एडजेस्टमेंट दिया जा सकता है
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