पब्लिक सेक्टर का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई 1 मई से ब्याज दरों को लेकर नए नियम लागू कर रहा है. अब बैंक अपनी लोन और डिपोजिट दरों को रेपो रेट से जोड़ देगा. इससे एसबीआई का लोन सस्ता हो सकता है. एसबीआई के करोड़ों ग्राहकों को इसका फायदा हो सकता है.
रेपो रेट से जोड़ने पर यह हो सकता है फायदा
दरअसल बैंक लोन की ब्याज दरें MCLR (Marginal cost of fund base landing rate) पर तय करते हैं. हालांकि कई बार इसमें कमी होने के बाद भी बैंक लोन दरों में कमी नहीं करते. लेकिन एसबीआई अगर रेपो रेट से लोन और डिपोजिट रेट को जोड़ता है तो इसमें कटौती से लोन की ईएमआई घट सकती है.
रेपो रेट को बैंक दरों से जोड़ने का यह फैसला एक लाख रुपये से ज्यादा के लोन पर लागू होगा. नए नियम लागू होने के बाद एक लाख रुपये तक के डिपोजिट पर 3.5 फीसदी इंटरेस्ट मिलेगा, जबकि 1 लाख रुपये से अधिक के डिपोजिट पर यह इंटरेस्ट रेट 3.25 फीसदी होगा.
हाल में आरबीआई ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती कर दी है. इसके बाद एसबीआई समेत कई बैंकों ने होम और ऑटो लोन की ब्याज दरें घटा दी है. एसबीआई ने 30 लाख रुपये तक होम लोन पर ब्याज दरों में 0.10 फीसदी की कटौती की है. 30 लाख रुपये से कम के होम लोन पर ब्याज दर 8.60 से लेकर 8.90 फीसदी है. इससे पहले यह दर 8.70 से 8.9 फीसदी तक थी.
एसबीआई ने सभी अवधियों के लिए MCLR को 0.05 फीसदी तक घटा दिया है. पिछली बार बैंक ने नवंबर 2017 में एमसीएलआर दरों को 5 बेसिस प्वाइंट घटाया था. इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बाद लोन रेट को कम करने वाला तीसरा बैंक एसबीआई है, जिसने 1 साल या उससे अधिक के लिए लोन रेट को 5 आधार अंकों तक कम कर दिया है. पिछली बार एसबीआई ने नवंबर 2017 में एमसीएलआर दरों को 5 बेसिस प्वाइंट घटाया था.
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