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कोरोना और मंदी से 20 साल में सबसे बुरा होगा सरकारी खजाने का हाल

स्लोडाउन के बाद कोरोना से आर्थिक गतिविधियां कमजोर पड़ने से हालात और खराब हो गए हैं

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कोरोनावायरस से देश की इकनॉमी पर तेजी से असर पड़ना शुरू हो गया. अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर पहले से ही गिरावट झेल रहे थे और अब कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक देश में 20 साल में पहली बार वित्त वर्ष खत्म होने से पहले टैक्स कलेक्शन में गिरावट दर्ज की आशंका व्यक्त की गई है.

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20 साल के निचले स्तर पर जा सकता है डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन

अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019-20 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 1.42 लाख करोड़ घट कर 10.27 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा. यह वित्त वर्ष 2018-19 से आठ फीसदी कम होगा. इससे पहले 1998-99 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में इतनी गिरावट देखी गई थी. उस वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर सिर्फ 3.5 फीसदी रही थी.

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आगे और मुश्किल दौर

इस समय अर्थव्यवस्था से जुड़े जो आंकड़े आ रहे हैं उससे सरकार के राजस्व में काफी गिरावट आ सकती है. बिजली की कमी में काफी गिरावट देखी जा रही है. इसमें 30 फीसदी की गिरावट है. यह आर्थिक गतिविधियों की सुस्ती के संकेत हैं. जीएसटी कलेक्शन में 20 फीसदी की गिरावट है. पूरे देश में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन दो साल पहले के स्तर पर है जब अर्थव्यवस्था का साइज अभी की तुलना में 15 फीसदी कम था. इसमें और गिरावट की आशंका जताई जा रही है और यह 29 साल के निचले स्तर पर आ सकता है.

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कुछ आंकड़े बता रहे हैं कि हालात 2008 की वैश्विक मंदी से भी खराब है. ये सारे आंकड़े अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर पेश करने के लिए काफी हैं. अंदेशा है कि बैंकों की कर्ज बांटने की रफ्तार नोटबंदी के कुछ महीने बाद के हालात से भी खराब है. हालांकि इसके आधिकारिक आंकड़ों का फिलहाल हमें इंतजार है. शेयर और कमोडिटी बाजार में रोजाना ट्रेडिंग वॉल्यूम में भारी कमी आई है. अब ट्रेडिंग से समय में भी कटौती कर दी गई है.

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