आरबीआई ने कोरोनावायरस संकट को देखते हुए रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है. रेपो रेट घट कर 4.4 फीसदी पर पहुंच गया है. रिवर्स रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है और यह घट कर 4 फीसदी पर पहुंच गया है.
आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष का ग्रोथ अनुमान घटा दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोनावायरस संकट को देखते हुए वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास की दर 4.4 फीसदी रहेगी.
कैश रिजर्व रेश्यो में 1 फीसदी की कटौती
कैश रिजर्व रेश्यो यानी CRR में 100 बेसिस पॉइंट यानी फीसदी की कटौती की गई है. अब यह घट कर 3 फीसदी रह गया है. इस फैसले से बैंकों के पास 1.37 लाख करोड़ रुपये का कैश मौजूद होगा.
रेट कटौती की थी पूरी उम्मीद
कोरोनावायस संक्रमण की वजह से देश में 21 दिनों के लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को गंभीर झटके की आशंका जताई जा रही है. पहले कहा जा रहा था आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी 3 अप्रैल को ब्याज दरों में कटौती का ऐलान करेगा. लेकिन कोरोनावायरस संकट को देखते हुए आरबीआई ने पहले ही इसका ऐलान कर दिया. बाजार को चौथाई से आधा फीसदी कटौती का अनुमान था. लेकिन आरबीआई पौने फीसदी की कटौती करदी. इस रेट कटौती से न सिर्फ लोन के डिमांड में तेजी आएगी बल्कि यह कोरोनावायरस संकट में फाइनेंशियल मार्केट के सेंटिमेंट को भी मजबूती देगा. इससे मनी मार्केट में कर्ज सस्ता हो सकता है.
इससे पहल आरबीआई ब्याज दरों में 135 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है. हालांकि इससे क्रेडिट ऑफटेक यानी कर्ज उठाने की रफ्तार में कोई खास बढ़ोतरी नहीं दिखी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आर्थिक गतिविधियों में इजाफा न होने से रेट कटौती का फायदा नहीं मिल पा रहा है.
दुनिया भर के 40 केंद्रीय बैंकों ने कोरोनावायरस की वजह से पैदा हुई आर्थिक सुस्ती को खत्म करने के लिए रेट कटौती का सहारा लिया है.
कोरोनावायरस से मिलजुल कर लड़ने की जरूरत : शक्तिकांत दास
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले ही यह संकेत दिया था कि दुनिया भर में कोरोनावायरस की वजह से पैदा आर्थिक संकट से लड़ने के लिए केंद्रीय बैंकों की ओर से मिल-जुल कर कदम उठाने की जरूरत है.भारत सरकार ने कोरोनावायरस से लोगों को राहत देने के लिए गुरुवार 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था.
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