क्रिसिल चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर के अपने अनुमान को 0.20 फीसदी घटा कर गुरुवार को 6.9 फीसदी कर दिया है. रेटिंग एजेंसी ने कमजोर ग्लोबल ग्रोथ और कमजोर मानसून जैसे जोखिमों को देखते हुए जीडीपी अनुमान घटाया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने जून में 2019-20 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर सात फीसदी कर दिया था. घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती और ट्रेड वॉर को देखते हुए बैंक ने यह कदम उठाया था.
पहली छमाही में रहेगी सुस्ती
क्रिसिल ने रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सुस्ती रहेगी, जबकि अनुकूल मौद्रिक स्थितियां और खपत में वृद्धि से दूसरी छमाही को समर्थन मिलने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था देश-दुनिया में होने वाली घटनाक्रमों से प्रभावित होगी. ऐसे में जीडीपी पहले के अनुमान से 0.20 फीसदी से घटकर 6.9 फीसदी रह जाने का अनुमान है.
भारतीय इकनॉमी पर ग्लोबल अनिश्चिचतता का असर
रिपोर्ट में गौर किया गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 8.2 फीसदी की जोरदार वृद्धि हासिल की थी. इसके बाद नई नीतिगत पहलों, सुधारों को बढ़ाने और व्यापार विवाद सहित वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता का असर रहा.
पिछले साल के आखिर में शुरू हुआ आवास वित्त कंपनियों का संकट, आय कम रहने से घरेलू मांग में कमी के साथ साथ कमजोर सेंटिमेंट और बढ़ती लागत का भी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा. इससे पहले जारी केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के जारी आंकड़ों के मुताबिक 2018- 19 में भारत की जीडीपी वृद्धि पांच साल के न्यूनतम स्तर तक गिर गई और जनवरी-मार्च तिमाही में यह 5.8 प्रतिशत रही.
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