जीडीपी में 40 साल की सबसे बड़ी गिरावट, हर सेक्टर जमींदोज, लेकिन बाजार का बुल बेखबर है, बेधड़क चला जा रहा है..मगर क्यों?
-23.9% जीडीपी के आंकड़ों ने इस बात की तस्दीक कर दी है कि इकनॉमी की कमर बुरी तरह टूट गयी है. लेकिन उसके ठीक दूसरे दिन भी सेंसेक्स करीब 250 प्वाइंट की तेजी के साथ बंद हुआ. और ये सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं है, लॉकडाउन हुआ. इंडस्ट्री बंद हो गई. सेल्स ठप. कंपनियों के मुनाफे गिरे. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से अब तक शेयर मार्केट करीब 50% भागा है. सवाल उठता है कि वो कौन सी चीजें जिसके बूते शेयर मार्केट लगातार भागते जा रहा है. चलिए आपको समझाते हैं ऐसा क्यों हो रहा है.
पहली वजह-
पश्चिमी देशों में सेंट्रल बैंकों खास तौर पर फेडरल रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें कम करने के लिए बड़ी तादाद में नई करेंसी छापी है और बड़ी तादाद में लोगों को कर्ज बांटा है. फरवरी से अगस्त के बीच में फेड्रल रिजर्व बैंक ने करीब 2.8 ट्रिलियन डॉलर रुपया छापा है. इसी का असर है कि विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में एंट्री ली है. फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने सिर्फ इस फाइनेशियल ईयर में मतबल सिर्फ पिछले 5 महीने में भारतीय शेयर बाजार में 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है. साफ तौर पर पश्चिमी देशों की सरकारें इकनॉमी को रिकवर कराने के लिए जो सस्ता कर्ज दे रही हैं, उसी की वजह से भारत में निवेश आ रहा है.
दूसरी वजह
जो तेजी है उसमें चंद कंपनियों का बड़ा योगदान है. जैसे रिलायंस के शेयर में बड़ी भारी तेजी आई है. तो चंद कंपनियों के शेयरों में भारी उछाल का असर बाजार के ओवरऑल आंकड़ों में दिख रहा है लेकिन इसी में एक संदेश भी छिपा है. और वो ये बाजार जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं.
तीसरी वजह-
पिछले एक साल में करीब 40 लाख नए निवेशक शेयर बाजार में आए हैं वहीं सिर्फ मार्च महीने के बाद से ही 25 लाख नए निवेश क शेयर बाजार में आए हैं. शेयर मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑर इंडिया SEBI ने भी कहा है कि पिछले महीनों में बहुत बड़ी तादाद में रिटेल निवेशकों ने शेयर बाजार में एंट्री ली है. दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि बैंकों में जमा पर बहुत कम ब्याज मिल रहा है. ऐसे में जिनके पास पूंजी है वो निवेश करने के लिए शेयर बाजार का रुख कर रहे हैं.
साथ ही कोरोना और लॉकडाउन में कमाई के दूसरे मौकों के कमी के कारण लोग शेयर बाजार में ही कुछ कमाई कर लेना का मौका देख रहे हैं. लिहाजा चिंदी शेयरों में भी जमकर निवेश हो रहा है. नतीजा ये कि कई मिड कैप, स्मॉलकैप, माइक्रोकैप के ऐसे शेयर हैं जिनमें कोई खास दम नहीं है वो बिना किसी वजह के बढ़े जा रहे हैं.
रिटेल निवेशक जोश में आकर चिंदी स्टॉक में पैसा न डालें
कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि शेयर मार्केट करीब 30% ओवरवैल्यूड है. जैसा कि एक्सपर्ट्स कह रहे हैं अगर मार्केट ओवरवैल्यूड है तो साफ है बाजार में करेक्शन देखने को तो मिलेगा ही और दूसरी बात अब सारा खेल विदेशी निवेशक खेल रहे हैं. अगर वो पैसा निकालना शुरू कर देंगे तो फिर बाजार धड़ाधड़ गिरेगा. इसलिए रिटेल निवेशक जोश में आकर चिंदी स्टॉक में पैसा न डालें. भरोसेमंद कंपनियों में अच्छे इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह से ही पैसा लगाए. शेयर बाजार में सोचकर, समझकर निवेश कर.. जनहित में जारी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)