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घट रही हैं सेविंग अकाउंट पर ब्याज दरें, ऐसे में यहां करें निवेश

किसी एफडी में आपको मिलने वाला इफेक्टिव रिटर्न इतना कम होता है कि वो महंगाई दर को भी मात नहीं दे पाता

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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेविंग अकाउंट्स पर ब्याज दरों को 0.5 फीसदी तक घटाने के बाद दो हफ्तों के भीतर एक-एक कर कई बैंकों ने भी सेविंग अकाउंट्स पर ब्याज दरें कम करने का ऐलान किया है. एसबीआई के बाद से अब तक ICICI, एक्सिस बैंक, यस बैंक, HDFC बैंक और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ब्याज दरें कम करने की घोषणा कर चुके हैं.

एसबीआई, एचडीएफसी, एक्सिस और पीएनबी ने बचत खातों पर ब्याज दर घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दी है.

ब्याज दरों में गिरावट आने के बीच निवेश के सही तरीके को लेकर क्विंट हिंदी पर 4 अगस्त को यह आर्टिकल छपा था. लेकिन निजी क्षेत्र के कई बैंकों के ब्याज दरें कम करने को लेकर क्विंट हिंदी इस आर्टिकल को अपने रीडर्स के लिए रीपब्लिश कर रहा है.

ब्याज दरें लगातार नीचे जा रही हैं और आने वाले दिनों में इनमें और भी गिरावट आएगी. ये खबर कर्ज लेने वालों के लिए तो अच्छी है लेकिन डिपॉजिटर्स के लिए नहीं. रिजर्व बैंक के रेपो रेट में ताजा कटौती के बाद इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि तमाम बैंक अपनी ब्याज दरें घटाएंगे और साथ ही डिपॉजिटर्स को मिलने वाला रिटर्न और कम हो जाएगा. हमारे देश में अभी भी लोग निवेश के लिए छोटी बचत योजनाओं और फिक्स्ड डिपॉजिट पर भरोसा करते हैं.

बैंक एफडी के अलावा रिकरिंग डिपॉजिट, पीपीएफ या पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाओं में भारतीय अच्छी खासी रकम निवेश करते हैं. 2015 में कार्वी के वेल्थ सर्वे के मुताबिक इन सभी बचत योजनाओं में कुल निवेश 75 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है. जाहिर है, इस निवेशित रकम पर मिलने वाले रिटर्न में कमी आएगी.

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तो फिर उपाय क्या है?

मोटे तौर पर हम छोटी बचत योजनाओं या एफडी पर भरोसा करने वाले लोगों को दो कैटैगरी में बांटते हैं.

स्नैपशॉट
  • पहले वो निवेशक जो अभी कमा रहे हैं और हर महीने एक निश्चित रकम जमा करके भविष्य को सुरक्षित करने का सपना देखते हैं.
  • दूसरे वो निवेशक जो रिटायर्ड हो चुके हैं और अब तक की अपनी जमा पूंजी को एक सुरक्षित निवेश माध्यम में लगाना चाहते हैं जिससे उन्हें नियमित अंतराल पर एक तय रकम मिलती रहे. तो पहले हम उन निवेशकों की बात करते हैं जो अभी कमा रहे हैं.

एक बात तो हम सभी को ध्यान में रखनी चाहिए कि अगर इन्वेस्टमेंट के जरिए मोटी रकम तैयार करनी है तो सिर्फ एफडी या पीपीएफ जैसे निवेश माध्यम पर्याप्त नहीं होंगे. आपको बेहतर रिटर्न देने वाले तरीके अपनाने ही होंगे.

किसी एफडी में आपको मिलने वाला इफेक्टिव रिटर्न इतना कम होता है कि वो महंगाई दर को भी मात नहीं दे पाता. क्योंकि एफडी या आरडी पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है और उस पर आपको अपने स्लैब के मुताबिक टैक्स देना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि आप म्युचुअल फंड जैसै माध्यमों को अपनाएं जो लंबी अवधि में आपके लिए वेल्थ क्रिएट कर सकते हैं.

ऐसा नहीं है कि आपको पूरा निवेश एक ही जगह करना है, आप अपने वित्तीय लक्ष्य के मुताबिक एक रणनीति बनाएं और फिर उसी के हिसाब से निवेश करें. आपके निवेश का कुछ हिस्सा इक्विटी म्युचुअल फंड में रहे, कुछ डेट म्युचुअल फंड में और कुछ हिस्सा आप बैंक एफडी या दूसरे माध्यमों में लगाएं.

मोटे तौर पर आप अपने निवेश का 50% इक्विटी में लगाएं और बाकी 50% को डेट म्युचुअल फंड और एफडी में बांट दें.

इक्विटी म्युचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न साल भर के बाद टैक्स फ्री होता है, जो आपके निवेश को दोहरी ताकत देता है. डेट म्युचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न भी टैक्सेबल होता तो है, लेकिन अगर आपने कम से कम तीन साल का निवेश किया हो तो टैक्स काफी कम देना होता है. इसलिए एफडी के निवेशक डेट फंड को बेझिझक चुन सकते हैं. जो निवेशक इक्विटी में बिलकुल नहीं जाना चाहते, उनके लिए फाइनेंशियल प्लानर यही सलाह देते हैं कि वो अपने पोर्टफोलियो का 75-80% डेट म्युचुअल फंड में लगाएं और बाकी पैसे एफडी में रखें.

रिटायर्ड लोग क्या करें?

अगर आप रिटायर हो चुके हैं या अगले कुछ महीनों में होने वाले हैं तो फिर आपके पास एक मोटी रकम होगी, जिसे आप रि-इन्वेस्ट करने की सोच रहे होंगे. स्वाभाविक तौर पर आपके मन में एफडी का ही ख्याल आ रहा होगा, लेकिन हम आपको ऐसे दो-तीन तरीके बताएंगे जहां आपको एफडी से बेहतर रिटर्न मिल सकेगा.

पहली बात तो ये याद रखें कि रिटायरमेंट के बाद अगर आप दोबारा कोई काम-धंधा करने की नहीं सोच रहे हैं तो आपको अपनी आय के लिए पेंशन और अपनी बचत पर ही निर्भर रहना होगा. ऐसे में आपका निवेश अगर रेगुलर इनकम देता रहे तो कितना अच्छा हो.

इसके लिए आप अपनी जमा-पूंजी को तीन हिस्सों में बांटें.

पहला हिस्सा होगा 40%, जिसे आप अपनी मनपसंद एफडी में लगा दें, बेहतर होगा कि वो टैक्स सेवर एफडी हो जिसमें आपको कम से कम पांच साल तक उसे बनाए रखना होगा.

जमा-पूंजी का दूसरा हिस्सा भी होगा 40% जिससे आपको एक लेना है सिस्टैमेटिक विदड्रॉल प्लान यानी एसडब्ल्यूपी. इससे आपको हर महीने आपके निवेश के मुताबिक एक निश्चित राशि मिलती रहेगी, और इस पर टैक्स भी एफडी के मुकाबले बेहद कम होगा. एसडब्ल्यूपी आप किसी डेट फंड का ले सकते हैं, जहां आपको रिटर्न भी एफडी से ज्यादा मिलेगा- अमूमन 10 से 12 फीसदी का सालाना रिटर्न.

तीसरा हिस्सा होगा 20% जिसका निवेश आपको ब्लू चिप इक्विटी फंड में करना है, जिसकी निवेश अवधि होगी 7 से 10 साल. इक्विटी फंड में निवेश एकमुश्त नहीं करके आप सिस्टैमैटिक ट्रांसफर प्लान यानी एसटीपी के जरिए भी कर सकते हैं. इससे आप शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से होने वाले जोखिम को कम कर सकेंगे.

(हमें अपने मन की बातें बताना तो खूब पसंद है. लेकिन हम अपनी मातृभाषा में ऐसा कितनी बार करते हैं? क्विंट स्वतंत्रता दिवस पर आपको दे रहा है मौका, खुल के बोल... 'BOL' के जरिए आप अपनी भाषा में गा सकते हैं, लिख सकते हैं, कविता सुना सकते हैं. आपको जो भी पसंद हो, हमें bol@thequint.com भेजें या 9910181818 पर WhatsApp करें.)

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