तेल की बढ़ती कीमतों और रुपये की गिरती वैल्यू के बीच विदेशी निवेशकों ने भी हाथ खड़े करना शुरू कर दिया. विदेशी निवेशकों ने कैपिटल मार्केट से सितंबर के महीने में करीब 56 अरब रुपये निकाल लिए हैं. अगस्त में भी इंवेस्टर्स ने 23 अरब रुपये मार्केट से निकाल लिए थे.
कुल मिलाकर इस साल विदेशी निवेशक इक्विटी से करीब 34 अरब रुपये और डेब्ट मार्केट से 426 अरब रुपये वापस ले चुके हैं.
डिपोजिटरी डेटा के मुताबिक, फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स (FPIs) ने 3 से 7 सितंबर के बीच इक्विटी से 10.21 अरब और डेब्ट मार्केट से 46.28 अरब रुपये वापस लिए हैं.
भारत में विदेशी निवेश दो तरह से आता है. पहला तरीका FDI या फॉरेन डॉयरेक्ट इंवेस्टमेंट का है. इसमें इंवेस्टर लंबे समय के लिए निवेश करते हैं. दूसरा तरीका फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टमेंट (FPI) है. शेयर मार्केट में इस इंवेस्टमेंट का बड़ा हिस्सा होता है. ये जल्द लाभ के लिए निवेश करते हैं. असमंजस की स्थिति में ये इंवेस्टर्स तेजी से पैसा निकालने लगते हैं.
मार्केट एनालिस्ट की मानें FPIs का तेजी से पैसा वापस लेने का कारण तेल कीमतों में उछाल, रुपये की गिरती कीमत, SEBI के FPI सर्कुलर और कमजोर ग्लोबल मार्केट हैं.
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