फुरकान मोहरकान की नई किताब 'THE BANKER WHO CRUSHED HIS DIAMONDS' यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर की जिंदगी और यस बैंक के पतन पर आधारित है. फुरकान ने क्विंट से खास बातचीत में यस बैंक के ‘NO बैंक बनने की पूरी कहानी बताई.
फुरकान बताते हैं कि राणा कपूर बहुत ही महत्वकांक्षी इंसान थे. अशोक कपूर की मौत के बाद पूरी तरह से यस बैंक राणा कपूर का यस बैंक बन गया. मोहरकान में अपनी किताब में लिखा है कि यस बैंक की कहानी किसी डेली सोप से कम रोमांचक नहीं है.
राणा कपूर ने जो भी किया वो अपने परिवार के लिए किया. जो डिटेल बाहर आ रहे हैं उसके मुताबिक राणा कपूर ने जो भी असेट बनाए वो अपनी पत्नी और तीनों बेटियों के नाम पर था. उनकी बेटियों ने जांच में बताया कि उन्हें ये पता नहीं था कि पैसा कहां से आ रहा है. कंपनी के मालिक को पता ही नहीं कि पैसा कहां से आ रहा है. क्या ये उचित है?फुरकान मोहरकान, पत्रकार और लेखक
फुरकान बताते हैं कि 2015 से यस बैंक पर सवालिया निशान उठने शुरू हो गए थे. तब से रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया क्या कर रहा है. ये समझ से बाहर है कि ये सब रिजर्व बैंक को पता नहीं हो कि ये सब हो रहा है. हर्षा मेहता के वक़्त भी रिजर्व बैंक को पता था कि क्या हो रहा है. यस बैंक के वक़्त भी उन्हें इस बात की जानकारी थी लेकिन उन्होंने वक़्त पर कोई कदम नहीं उठाया. स्टेकहोल्डर्स ने भी इसमें साथ दिया और बैंक की स्थिरता का मुखौटा बनाया.
अगर सरकारी बैंक होता तो बेशक सरकार की जिम्मेदारी होती. यहां पर गवर्नेंस लेवल पर सरकार फेल हुई.फुरकान मोहरकान, पत्रकार और लेखक
आर.बी.आई को प्रोएक्टिव रोल अदा करना पड़ेगा. उन्हें बैंक पर नज़र रखनी होगी. अभी के हालात में वो पूरी नजर नहीं रख रहा है. आर.बी.आई को बहुत से सवालों के जवाब देने होंगे.
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