ADVERTISEMENTREMOVE AD

तीसरी तिमाही में GDP के 0.4% बढ़ने पर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

GDP में पूरे वित्त वर्ष के लिए संभावित कमी को 7.7% से बढ़ाकर अब 8% कर दिया गया है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

भारत की अर्थव्यवस्था अब टेक्निकल रिसेसन यानी तकनीकी मंदी से बाहर आ गई है. वित्त वर्ष 2020-21 के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में GDP वृद्धि दर 0.4% रहा. भारत सरकार द्वारा 26 फरवरी को जारी आंकड़ों से यह पता चला है. आइए जानते हैं क्या है इस आंकड़े का मतलब और क्या सोचते हैं एक्सपर्ट्स?

ADVERTISEMENTREMOVE AD
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली और दूसरी तिमाही में लॉकडाउन के कारण GDP में बड़ी गिरावट देखी गई थी. दो तिमाही में GDP में लगातार गिरावट की स्थिति से देश मंदी की स्थिति में चला गया था.

अर्थव्यवस्था के लिए कितनी अच्छी खबर?

जानकारों द्वारा तीसरे तिमाही की वृद्धि दर के लिए अलग अलग अनुमान लगाए गए थे. ज्यादातर एक्सपर्ट्स GDP के 1% के करीब बढ़ने की उम्मीद कर रहे थे. हालांकि यह उम्मीद से थोड़ा कम रहते हुए 0.4% रहा. वैक्सीन के आने से आर्थिक गतिविधियों में लौटती रौनक के दम पर ऐसा हुआ. लेकिन रिवाइज्ड आंकड़ों में GDP में पूरे वित्त वर्ष के लिए संभावित कमी को 7.7% से बढ़ाकर अब 8% कर दिया गया है. तमाम कोशिशों के बावजूद अर्थव्यवस्था को कोरोना से पहले के स्तर पर पहुंचने के लिए 2022 तक का भी इंतजार करना पड़ सकता है.

0
हम 2021 के अंत तक अर्थव्यवस्था के कोरोना से पहले के दौर में पहुंचने की उम्मीद करते हैं. हालांकि इसके साथ ही कुछ महत्वपूर्ण कारकों पर नजर रखना अहम होगा. इसमें कॉमोडिटी की बढ़ती कीमतें, धीमी वैश्विक रिकवरी, कोरोना के मामलें और इन्फॉर्मल सेक्टर में रिकवरी की रफ्तार अहम होगी.
साक्षी गुप्ता, सीनियर इकनॉमिस्ट, HDFC बैंक 
इस वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के GDP में कमी के आंकड़ों में भी थोड़ा बदलाव किया गया है. पहली तिमाही में GDP पहले अनुमानित 23.9% की जगह 24.4% कमजोर हुआ. इसके विपरीत दूसरी तिमाही के लिए फाइनल डाटा में GDP अनुमानित 7.5% की गिरावट से थोड़ा बेहतर रहते हुए 7.3% कमजोर हुआ.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अर्थव्यवस्था की राह के बारे में अलग अलग विशेषज्ञों की अलग अलग राय है.

इन्वेस्टमेंट (निवेश) की मांग पिछले क्वाटर्स में बुरी स्थिति में रहने के बाद 2.6% की वृद्धि इन आंकड़ों का एक अहम पहलु है. यह सरकार द्वारा निवेश को तेज करने की कोशिशों की सफलता को बताता है. आने वाले दिनों में बजट ऐलानों और अन्य उपायों से हम तेजी के जारी रहने की उम्मीद कर रहे हैं.
चंद्रजीत बनर्जी, डायरेक्टर जनरल, CII
GDP का 0.4% से बढ़ना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. लेकिन कोविड से जारी लड़ाई के बीच दो तिमाही के बाद इसका पॉजिटिव होना एक अहम मोड़ दर्शाता है. आने वाले तिमाही में इसको और बेहतर होना चाहिए. 
दीपक सूद, सेक्रेटरी जनरल, एसोचैम
ADVERTISEMENTREMOVE AD
महामारी के दौरान भारत की वृद्धि को कृषि, कंस्ट्रक्शन और सरकार की कैपिटल एक्सपेंडिचर का सहारा रहा. प्राइवेट और पब्लिक दोनों ही सेक्टरों के लिए कंजम्पशन पर खर्च अभी भी कमजोर दिख रहा है. 
रूपा रेगे निस्तुरे, ग्रुप चीफ इकनॉमिस्ट, लार्सन एंड टूबरो फाइनेंस होल्डिंग्स  
कंज्यूमर्स में भरोसा बढ़ने के साथ ही कुछ बचे सेक्टरों के मांग में तेजी देखने को मिलेगी. हालांकि वृद्धि दर पॉजिटिव हो गई है, कोविड से पहले के स्तरों पर लौटने के लिए मोमेंटम में और सुधार की जरूरत होगी. 
शशांक मेंदीरत्ता, इकनॉमिस्ट, IBM
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कुछ जानकार फिर से बढ़ रहे कोविड के मामलों की नजर से भी GDP आंकड़ों से देख रहे हैं.

अहम प्रश्न यह हैं कि अगर कोविड की दूसरी लहर आती है तो हमारा रुख क्या होगा? अगर यह मार्च में लाए गए लॉकडाउन जैसा ही होगा तो प्रभाव भी इतना ही नेगेटिव रहेगा?
प्रनब सेन, पूर्व चीफ स्टेटिसशियन (Former Chief Statistician) 

(साभार- रॉयटर्स, टीओआई)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×