काला धन पर केंद्र सरकार की ओर से नकेल कसने के बाद अब सोने की खरीददारी में भी भारी कमी आई है. यही वजह है कि पिछले सात सालों में पहली बार सोने की डिमांड कम हुई है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, सोने के बढ़ते दाम और तस्करी की वजह से इस साल भारत में सोने की डिमांड 24 फीसदी तक गिर सकती है. यह आंकड़ा पिछले सात सालों में सबसे कम है.
दो लाख से ज्यादा की खरीद पर देना होगा पैन नंबर
केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए नए निर्देशों के मुताबिक, अब दो लाख रुपए से ज्यादा का सोना खरीदने पर ग्राहक को अपना पैन नंबर भी देना होगा. सरकार के इस नियम से आने वाले समय में सोने की बिक्री में और भी कमी आ सकती है.
साल 2016 के पहले तिमाही में सोने की डिमांड पिछले साल के मुकाबले 29 प्रतिशत गिर गयी है. सोने के दाम में उछाल और टैक्स कोड का खुलासा अनिवार्य होने के बाद से डिमांड में गिरावट देखने को मिल रही है.सोमसुंदरम पीआर
सोना खरीदने के मामले में दूसरे नंबर पर है भारत
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भारत सोना खरीदने के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है और अगर भारत में सोने की डिमांड में गिरावट आएगी तो उससे दुनिया भर के मार्किट को भारी नुकसान होगा. लेकिन इससे साउथ एशियन देशों के व्यपार में हो रहे घाटे को कम होने में मदद मिलेगी. भारत में सब से ज्यादा खर्च सोना के आयात पर होता है.
2016 में सोने की डिमांड 650 टन से लेकर 750 टन है, जो की 2009 के बाद सब से कम है. जब की पिछले साल सोने की डिमांड 858.1 टन थी.
पारदर्शिता के कारण बढ़ी सोने की तस्करी
सरकार के टैक्स कोड में पारदर्शिता और सुधार के कारण भी सोने की तस्करी बढ़ गयी है. साल 2016 में लगभग 160 टन के करीब तस्करी हुई थी, जबकि साल 2015 में यह आंकड़ा 100 से 120 टन तक था.
एक रिपोर्ट में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा है कि तस्कर भारी डिस्काउंट पर लोगों को सोना उपलब्ध करा देता है. जिस कारण कई रिफाइनर्स को अपना काम बंद करना पड़ा.
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